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दादी का बंद कमरा और जिनि भाग-1

22 सितम्बर 2021

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आसमान काली घटा से घिरा हुआ था जहाँ तक नज़र जाती दूर तक सिर्फ बादल नज़र आते शाम के 4 बज रहे थे , लेकिन देखने से ऐसा लगता मानो अभी रात हो जाएगी, मै बादलो का बखान कर ही रहा था के इतने में हलकी हलकी बौछार पड़ने लगी, बौछार की बुँदे शीतल जल जैसी थी बदन पे पड़ते ही कपकपी सी चढ़ने लगी, कहते है जाता हुआ सावन बीमारी की सौगात भी देकर कर जाता है, और शायद इसका असर मुझ पर दिखाई दे रहा था, क्योंकि पिछली दो रातो से अचानक हुई बारिश के कारण भीग गया था, दरअसल में जिस कमरे में सोता हु उस कमरे के आगे एक बरामदा है हमारा घर बहुत पुराना बना हुआ जिस वजह् से बरामदे की छत बहुत कमज़ोर हो गई है और इस साल तो उमसे बरसात का पानी भी रिसने लगा, बरामदे की छत से बरसाती पानी रिस्ता हुआ मेरे कमरे की खिड़की जो बरामदे में खुलती है तक आ पंहुचा मेरा बिस्तर खिड़की से सटा हुआ था जिस वजह से मै खिड़की से आते बरसाती पानी से खूब भीग गया जब सुबह उठा तो बुखार और ज़ुकाम ने जकड़ रखा था मै अभी पूरी तरह ठीक नही हुआ हूं और बीमार पड़ना भी नही चाहता इसलिए जल्दी से बरामदे में खड़ा होकर बहार का नज़ारा देखने लगा, चेहरे पर पड़ती ठंडी ठंडी बारिश की बौछार एक अलग ही सुख पुह्चा रही है लेकिन बुखार के डर से मैं खुल कर बारिश का आनद भी नही ले सकता हु, सितम्बर का महीना लग चुका है लेकिन ये बरसात थमने का नाम नहीं लेती , दिन में उमस तो रात को बरसाती कीड़ो, झिंगरो का शोर, और ऊपर से ये टपकती छत लगता है आज तो दादी के कमरे में ही सोना पड़ेगा, दादी को गुज़रे हुए १२ साल हो गये, जब दादी हमे छोड़ कर गई उस समय में 8 साल का था हम चार बहन भाइयो में सबसे बड़ा होने की वजह से मैं घर मैं घर का बड़ा था जिससे दादी का बहुत लाडला था मैं ज़्यादतर समय दादी के साथ ही गुज़रता था , दादी अक्सर मुझे कहानिया सुनाती थी जिसमे एक कहानी मुझे बहुत पसंद थी जिनि यानी जिन की बेटी पता नही ये सच है या सिर्फ एक कहानी,लेकिन एक सवाल जो दादी के गुज़रने के बाद आज तक मेरे मन मे है जब भी मैं रात को दादी के कमरे मैं जाता तो मुझे ऐसा महसूस होता जैसे कोई और भी वहां मौजूद है , दादी से पूछने पर वो मना कर देती। दादी के गुज़रने के बाद वक्त कैसे गुज़र पता ही नही चला कब मैं इतना बड़ा हो गया सब कुछ बदल गया सिवाए दादी के कमरे के क्योंकि ,,,,, पापा अपनी माँ से बहुत प्यार करते थे उनके जाने के बाद पापा ने दादी की एक एक चीज़ को बहुत सजोय कर रखा है किसी को भी उनके कमरे में जाने की इजाज़त नहीं है कमरे पर एक बड़ा सा ताला लगा रहता है,,,, पापा का ऐसा कहना है की अगर कोई दादी के कमरे में जाएगा तो वहा रखे उनके सामना से छेड़छाड़ करेगा , जो पापा को बिलकुल पसंद नहीं बस जब कभी पापा दादी को याद कर भावुक होते है तो दादी के कमरे में जाकर खुद को तसल्ली देते,, ।
परी-" अरे भाई क्या बात है कहा खोये हुए है मम्मी इतनी देर से आपको आवाज़ लगा रही है चलिए चाय ठंडी हो जाएगी।।फिर आप मुझ पर गुस्सा न करना".
समीर-" कही भी नही देखना मेरे कमरे में रात भर बारिश का पानी आया पापा से कितनी बार बोला के बरामदे की छत की मरम्मत करा दो लेकिन। हर बार बोल देते है करते नही ।इसी तरह पूरी बरसात निकल जाती है , तू देखना आज तो दादी के कमरे मैं ही सोऊंगा, "

परी- " अरे रहने दो भाई पापा और दादी के कमरे की चाबी तुम्हे दे भूल जाओ वेसे आप चाहो तो बैठक भी खाली है वहा सो जाओ। और हा अगर पापा मां गए तो मैं अपना ना बदल दूंगी.......हा,, हा,,, हा,, हा,,,,,

समीर -" परी तुआज से अपना पारी या परा रख ले इजाज़त तो मैं लेकर रहूंगा । फिर मैं हसुग और तू देखना मैं भी समीर शेख हो।।। अमीर शेख का बेटा ।समझी।।। हा ही,,,,,, हा

अम्मी (अमीना) - " परी बेटा तुझे समीर को बुलाने भेजा था या यहां मस्ती करने के लिए तुम दोनों बच्चे ही रहोगे अब सुबी और अयान का तो ख्याल रख लो। और तुम समीर ध्यान कहा रहता है तुम्हारा इतनी देर से आवाज़ लगा रही हु ,, आज तुम्हे कोचिंग के लिए नही जाना तुम्हारे पापा आते ही पूछेगे ,,"

समीर-" अम्मी आज मुझे कोचिंग को नही जाना पुरा जिस्म दर्द से टूटा हुआ है लगता बुखार आया है, ,,

अम्मी (अमीन)-" अरे,,, तुम्हे बुखार है और तुमने बताया भी नही ।।आया इधर मैं देखती हूं कितना बुखार है ? ,,, अरे तू तो तप रहा है बुखार मैं परी जा भी के लिए मेरे अलमारी से एक टेबलेट ला दे बुखार की है वो। ,,

समीर -" अरे आपको बताया तो था । मेने के रात भीगने की वजह से बुखार आ गया "।
अम्मी (अमीन)- " अच्छा रात कैसे भीग गए, तुम?
समीर- " अम्मी मेरे कमरे में बरामदे से पानी टपक रहा था जिससे में सारी रात भीगता रहा जब सुबह उठा तो बुखार था । पापा को बोला था के बरामदे की छत सही कर दो या मुझे दादी के कमरे की चाबी दे दो ।।।अब आप ही समझाओ पापा को,"
अम्मी (अमीन)- " अरे बेटा तेरे पापा मेरी कहा सुनते है। कितनी बार बोला उस खाली कमरे को किराए पर दे दो कुछ पैसे हाथ ही आएंगे ।। लेकिन किराये पे देना दूर किसी को अंदर भी जाने नही देते ।''"",

परी- " भाई तुम्हे डर लग रहा है।।क्या पापा से खुद बात लर लो न।।हुहुऊ।",

समीर -" बस रहने दे परी तू और ना बोल जा अम्मी की अलमारी से मुझे टेबलेट ला दे।सिर फटा जा रहा है।, कुछ भी हो आज तो मैं पापा से चाबी लेकर ही रहूंगा ।,,..

परी- " श शशस,,,,,'' अरे पापा आ गए । मैं तो अंदर जा रही । वेसे भाई । बेस्ट ऑफ लक। मुझे बताना जो भी बात हो।।

मेने पीछे मुड़ के देखा तो पापा मेंन गेट से अंदर आ रहे थे ,, देखने बहुत थके हुए पेरशान और गुस्से में लग रहे थे , पापा के कपड़ो पर जगह जगह कीचड़ लगा था , मेने दौड़कर पापा से स्कूटर लिया और स्टैंड पर खड़ा कर दिया ,
और बहुत ही दबे लहजे में पूछा,,,

समीर -" पापा ये आपके कपड़ो पर इतना कीचड़ कैसे ? सब थोक है ना,"
पापा ने गहरी सांस लेते हुए मेरी तरफ देखा , ऐसा लग रहा था ये पूछ कर मेने कोई ग़लती कर दी हो।

पापा (अमीर शेख) -" अरे परी ज़रा गीज़र चालू कर देना में नहाने आ रहा हु।
समीर स्कूटर की डिक्की से समान निकाल लाओ कुछ फल है वो ममी को देदो और कुछ फाइल्स है वो मेरे कमरे में रख दो,"....

इतना कह कर पापा बाथरूम में चले गए मेरी बात का जवाब नही दिया।
मैं सर हिलाकर उनकी हा में हा मिला दी।
समीर- " जी पापा आप नाहा आईये मैं सब रख देता हूं।
थोड़ी देर बाद पापा फ्रेश हो कर बाहर आ गए। उनके बाहर आते सब पापा के इधर उधर खड़े हो गए , परी पापा के पीछे खड़ी मुझे चिढ़ाने लगी ,

अयान-" अब्बू अब्बू आप मेरे लिए पेंसिल बॉक्स लेकर आये ।

पापा-" नही बेटा आज उधर जाना नही हुआ अभी समीर भाई से मंगा दुग।ये सुनकर सुबी और अयान अंदर कमरे में चले गए,,
मेने अम्मी को आँखों आँखों मे इशारा करते हुए पापा पूछने के लिए बोला।

अम्मी (अमीन) -" अरे इतनी कीचड़ कैसे लग गई कपड़ो पर सब खेरियत है ना ,
पापा (अमीर शेख) -"अरे क्या बताऊ? शहर की सड़कों का हाल दिन बा दिन बिगड़ता जा रहा है जगह जगह बड़े बड़े गड्ढे और उनमें भरा पानी । आधे रास्ते मे पेट्रोल खत्म हो गया स्कूटर घसीट कर लेना पड़ा वही एक मनहूस बस वाला मेरे पास से गुज़रा सारी कीचड़। मेरे कपडो पर आ गई हुह ह ....... ",

अम्मी (अमीन) -" अरे तो आप ने तेल चेक नही करा था क्या ? कम से कम बरसात के दिनों में तो तेल पूरा भरवा लिया करे।,,

पापा ने अम्मी को गुस्से से देखा फिर मेरी तरफ देखते है बोले

पापा(आमीर शेख) -" हा हा अब तुम भी मुझे ही कहो।इस लड़के से कुछ मत कहना स्कूटर लेकर जाता लेकिन पेट्रोल कभी नही डलवाया खाली करके स्कूटर खड़ा कर देता है।। और तुम आज घर मे कैसे नज़र आ रहे हो ।कोचिंग क्यों नही गए यहां मैं इतनी मेहनत से कमाता हु तुम्हे कोई परवाह नही । खूब छुट्टियां करो हराम के फीस दिए जाओ।परी मेरे लिए चाय बनाओ।

पापा का सारा गुस्सा मेरे ऊपर उतर गया ,,,,,,,, और परी की बच्ची पीछे खड़े खड़े मुझे चिड़ा रही थी और हसे जा रही थी ........

अम्मी (अमीना ) -" आप उसे क्यों डाट रहे है, उसे बुखार है इसलिए नहीं गया ... बहार का गुस्सा भी आप बच्चो पर निकलेंगे ..,,,"

अम्मी ने मेरी साइड लेते हुए पापा को बताया के मुझे बुखार आ रहा है इसलिए मै कोचिंग नहीं गया............. अम्मी की बात सुनकर पापा का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ पापा ने मुझे अपने पास बुलाकर मेरी नफ़्स छूकर देखि....

पापा (आमिर शेख )-" हम्म्म्म बुखार तो है, कब से आ रहां है बुखार? दवाई ली या नहीं देखो मेने तुम्हे बोला था ये बारिश में नहाने का मौसम नहीं है,. तुम ज़रूर बारिश में भीगे होंगे"" ...

समीर -" नहीं पापा में जान बुझ के बारिश में नहीं भीगा , सारी रात बरामदे की टपकती छत से मेरे कमरे में पानी आता राहां आपको तो में बताया था, लेकिन ..............

इतना कहकर मै खामोश हो गया .................... पापा मेरी बात सुनकर सोच में पड़ गए ..............

पापा (आमिर शेख ) -:"" हा मुझे मालूम है लेकिन अब बरामदे की मरम्मत कराकर क्या फायदा जबकि बरसात के बाद दादी का कमरा छोढकर पूरा मकान ही दोबारा बनेगा , आखिर तुम्हारी भी शादी होगी तुम्हे भी एक बड़ा और नया कमरे की ज़रुरत पड़ेगी ....

पापा की बात सुनकर मुझे थोड़ी तसल्ली मिली .....


पहला भाग समाप्त............... आगे के भागो में आप पड़ेगे किस तरह मुझे दादी के कमरे की इजाज़त मिली और कैसे मुझे दादी क संदूक का राज़ पता चला जिसन मेरी ज़िन्दगी बदल दी..... अगला भाग ज़रूर पढ़े,
इस भाग को

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