धर्म........................................... आखिर किसलिए है ?
क्या लोगो का बँटवारा करने के लिए या धर्म की आड में अधर्म करने के लिए ?
लोग अब अलग-अलग धर्म में बँट चुके है. किसी के धर्म में कुछ होता है तो किसी के धर्म में कुछ,
लेकिन लोग यह भूल जाते है कि अलग धर्म के बेशक अलग रास्ते है परन्तु मंजिले सभी की एक ही है,
और वह है इंसानियत.
जो धर्म इंसानियत सिखाते है उस धर्म की आड़ में लोग इंसानियत को मिटाते जा रहे है. क्या धर्म किसी
मासूम की जान से ज्यादा कीमती है? ये धर्म हमें क्या सिखाता है, झगड़ा करना, अपने ही भाइयों से लड़ना या ऊँची सोच
को विकसित होने से रोकना? धर्म का कोई मतलब नहीं है जब तक हम भाईचारे से नहीं रहते या जब तक
इंसानियत नहीं रहती है. धर्म सिर्फ इसलिए बना ताकि लोग इंसानियत को ना भूले. अगर हम प्यार और सही राह पर चले तो हमे धर्म की जरूरत नहीं पड़ेगी.
धर्म क्या है ......................जो इंसानियत को बनाए रखे या वो जो इंसान को बांटे?
क्या धर्म का मतलब नफरत है या फिर प्यार ? क्या धर्म लोगो को बांटता है ? क्या धर्म सिर्फ इसलिए बना है ? सोचिये क्या यही सही राह है, जिस पर आप अब चल रहे है अगर आप सही राह पर चलेंगे और दूसरों का भी भला करेंगे तो
हमे धर्म की जरुरत भी नहीं है