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दिग्विजय अग्रवाल की डायरी

दिग्विजय अग्रवाल

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digvijay agrawal ki dir

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पुस्तक के भाग

1

कुर्सी और आदमी

3 जून 2016
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गहरे भूरे रंग की जिल्द वालीआरामदेह कुर्सी पर पसरमुतमईन है वहउसकी आँखें खोज रही हैंकुर्सी को रखने के लिएउचित उपयुक्त और निरापद जगह।कुर्सी का मिल जाना एक खूंखार सपने की शुरुआत हैवह कुर्सी के पीठ पर टँगे तौलिये सेपोंछता जा रहा है हाथरंगे हाथों पकड़े जाने का अब कोई ख़ौफ़ नहीं।कुर्सी में लगे हैं पहियेघूमने

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कूटनीति

8 जून 2016
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● कस्बे में एक महात्मा थे। सत्संग करते और लोगों को धैर्य, अहिंसा, सहनशीलता, सन्तोष आदि के सदुपदेश देते। उनके पास सत्संग मे बहुत बड़ी संख्या में भक्त आने लगे। एक बार भक्तों ने कहा महात्मा जी आप कस्बे में अस्पताल, स्कूल आदि भी बनवाने की प्रेरणा दीजिए। महात्मा जी ने ऐसा ही किया। भक्तों के अवदान और परिश्

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