लोग कितने भावुक और मूर्ख हैं। जिधर हवा चली, उधर होलिए। मीडिया ने जो कहा वही मान लिए। कुंडा में गांववालों ने डीएसपी की हत्या की, तो लोगों ने राजा भैया कोदोषी ठहरा दिया। बिना यथास्थिति जाने हवाबाजी करनेलगे। मीडिया ने भी अपना फैसला सुना दिया। हर तरफएक ही राग अलापा जाने लगा।
अब जरा उस स्थिति का अंदाजा लगाइए। गांव में विवादहोता है। उसमें ग्राम प्रधान की हत्या हो जाती है। इससेलोग पहले से ही उग्र हैं। उन्हें प्रशासन द्वारा समझाने याकूटनीतिक तरीके से नियंत्रित करने की बजाए पुलिस गोलीचलाती है।
मृतक ग्राम प्रधान के भाई की गोली लगने से मौत हो जाती है। ऐसे में भीड़ और उग्र नहीं होगी तो क्या होगा। वो पुलिसपर हमला नहीं करेंगे तो क्या करेंगे। अरे आप यूपी पुलिस का बर्बर चेहरा भूल गए हैं क्या?
जो पुलिस कमजोरों को सताती है, सीधे-साधे लोगों को तड़पाती है, वर्दी के रसूख में अक्सर अपराधियों से बत्तर अपराधकरती है। यह गुस्सा उस पुलिस के खिलाफ है। लोगों के जहन में उसी पुलिस की तस्वीर छपी है। दुर्भाग्य से इसकाशिकार हो गए जिया उल हक।
और तो और देखिए उनकी ही पुलिस उन्हें भीड़ के हवाले करके फरार हो गई। उन्हें मरने के लिए छोड़ गई। वह दो घंटेतक भीड़ का ग्रास बनते रहे, पुलिस-प्रशासन तमाशबीन बना रहा। यह है यूपी पुलिस का असली चेहरा।
हां...मैं मानता हूं...सलाम करता हूं कि इन वर्दीधारी गुंडों और अपराधियों के बीच कुछ दिलदार और नेक पुलिस वाले भीहैं, पर अफसोस वो अक्सर शहीद हो जाते हैं।
'हमें गर्व है जिया उल हक जैसे पुलिस अफसर पर, जो अपनी ही पुलिस के भाग जाने के बाद भी मैदान में डटे रहे'