आज हम विज्ञानं की वजह से दुनिया में कंही भी किसी से सम्पर्क कर सकते हैं ये संचार के साधन पहले नहीं थे लेकिन देवताओ के काल में जिस तरह घटनाओ का बिबरण मिलता हैं उससे स्पस्ट होता हैं कि हमारी तरह वे भी एक दूसरे से हजारों मील दूर सम्पर्क में रहते थे कई जगह दिव्य शक्ति दिव्य दृष्टि के बारे मेँ लिखा है देवता और ऋषि मुनि ध्यान करके दिव्य दृष्टि से हज़ारों मील दूर कंही भी देख सकते थे ब्रहम लोक से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करने वाली शक्तियां आज भी इस दिव्य दृष्टि को हर प्राणी को मरने के बाद देते है अक्सर मृत्यु के तुरन्त बाद गांव में मरने वाला बुजर्ग सैकड़ों मील दूर शहर में रह रहे बेटों को अनहोनी का अहसास कराते हैं जिसे हम प्रत्यक्ष महसूस करते हैं यह सब उस दिव्य आत्मा को दिव्य दृष्टि मिल जाने की वजह से होता है देव संवत 8 हजार से ही देवता अपनी लीलाएं दिखाने लग गये थे तिब्बत के कैलास पर्वत से भोले नाथ सुदूर प्रशांत महासागर में बिराजमान विष्णु भगवान को देख लेते थे कंही कहानियों में ये बिबरण मिलते हैं