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दोस्त

10 सितम्बर 2021

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चले थे दोस्ती की तलाश में राहों पर
पहचान नहीं थी इन दोस्ती के रंगो की
सोचा न था की ऐसी भी दोस्ती होगी
सब कुछ दे चुके थे हम जिनको
हर बार बस धोखा ही मिला हमको ।

सुना था बहुत कुछ हमने इस जमाने से
पढ़ी थी बहुत सी दस्ताने कुछ किताबो में
पर समझ नही पाए इस दोस्ती का मतलब
शायद दोस्ती के वो बीते जमाने थे ।

दूसरो को कसूरवार कहे ये मुमकिन नहीं
खुद को ही कसूरवार ठहरा लिया हमने
अच्छा हुआ टूट गया यह दोस्ती का भ्रम
वरना कहां टिक पाते इस बेदर्द जमाने मे ।

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10 सितम्बर 2021

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