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ग़ज़ल

19 अगस्त 2023

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मौसम कोई हो   दिसम्बर या   जेठ हो।
तन पर  लिबास  हो भरा तो  पेट हो।

सत्ता से सवाल हो सवाल के अंदाज़ में।
जब गोदाम के टमाटर का दो सौ रेट हो।

गिले शिकवे शिकायत सब परे रख देना।
जब रूठे यार से   इत्तेफाक से भेंट हो।

राम कृष्ण बुद्ध  महावीर  सब अपने हैं।

निशंकोच स्वीकारों  जो इनका श्रेष्ठ हो।

परिक्षाएं कराओ पर रोजगार भी दो ।
चाहे सेट टेट या फिर  यु जी सी नेट हो।


                            (2)

बुरे   हालात   बदल  जायें   तो  बात  बन जाये।
सबके अधर खिल ग़र जायें  तो बात  बन  जाये।।

कैसे   सफ़र  होगा  संग   जब  दिल  न  मिलेंगे।
अपने  ख्याल  मिल  जायें तो  बात  बन  जाये।।

दिन   की  मुलाकात  मुकम्मल  हो  गई  अपनी।
ग़र  ये  शाम  ढल  जाये  तो   बात  बन   जाये।।

महफिल जम़ी ज्यों  ही त्यों बिजली  चली गयी।
ग़र  ये  चांद  निकल   जाये तो  बात बन जाये।।

स्वादिष्ट  बन  गये  आज  अपने   सारे   व्यंजन।
ग़र  ये  दाल   गल   जाये   तो  बात  बन  जाये।

                                    दिलीप दीपक‌  
                          (असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी)
ग्राम व पोस्ट- बरहट, तहसील-जखनियां,जिला-गाजीपुर
उत्तर प्रदेश पिन-233311



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