बहुत समय से ये सोचता था की अपने बचपन से लेकर अबतक के जीवन में जो छोटी छोटी बातें, घटनाएं, कारण या अकारण ही याद रह जाती हैं, उन्हें किसी डायरी में, या ऐसे किसी ब्लॉग में सँजो कर रख लिया जाय। वो बातें जिनमें से कुछ बहुत महत्त्व भी रखती हैं, पर कुछ महत्वहीन, निरर्थक, परन्तु फिर भी याद रह जातीं हैं। आज ऐसी ही एक छोटी घटना लिख के रख लेता हूँ। कोशिश रहेगी की नियमित रूप से ऐसी और कहानियां, किस्से इस ब्लॉग में जोड़ता रहूँ, भले ही कालानुक्रम ना हों, पर लिखता रहूँ।
मैं तब बहुत छोटा था। शायद स्कूल जाने ही लगा था या फिर शायद नहीं ही जाता था। मेरा भाई तरुण, जो मुझसे २ साल छोटा है, तब भी तेज़ दिमाग था, और बड़ों की आदतों की नक़ल करना तुरंत ही सीख जाता था। मम्मी की ये आदत थी की रोज़ सुबह नाश्ता बनाते वक़्त पहली रोटी गाय के लिए बनाती थी, और फिर गली में जो भी पहली गाय दिखती, उसे अपने हाथ से वो रोटी खिला देती थी। मैं और तरुण रोज़ ये देखते थे, कभी कभी ज़िद करते थे की हम भी अपने हाथ से गाय को रोटी खिलाएंगे। डर तो लगता था मगर मम्मी साथ होती थी तो भले ही बार बार हाथ खींचते या चिल्लाते पर रोटी गाय के मुँह में डाल ही देते थे।
एक ऐसी ही सुबह मम्मी ने दोपहर तक की रोटियां बना कर रख दीं और सामने बुआजी के घर चली गयी। पापा भी ऑफिस जा चुके थे, तो अब बस हम दोनों भाई ही घर पर थे। गाय गली में आ चुकी थी और तरुण ने तय किया कि मम्मी के आने से पहले ही उसे रोटी खिला दी जाय। उसने रोटी गाय के मुंह में डाली और फिर प्यार से उसके चेहरे पर हाथ फेरने लगा। पर शायद उस गाय को वो प्यार भरा स्पर्श पसंद नहीं आया और उसने अचानक ही अपना सर ज़ोर से हिलाया। तरुण के सामने वाले ऊपर के दो दांत उस एक झटके से बाहर निकल आये। आने वाले कई सालों तक वो दांत नहीं उगे।
वैसे देखा जाय तो उस घटना ने तरुण की क्यूटनेस में इज़ाफ़ा ही किया था। आज भी हम कभी पुरानी अलबमों में जब तरुण के वो बिना दांतों वाले प्यारे चित्र देखते हैं, तो ये गाय वाली घटना हमेशा याद आ जाती है।