आज बहुत तनहा तनहा सा महसूस कर रहा हूँ , शायद आज अपने गलत कमो की वजह से खुद को खुद से से दूर पाता हूँ , आज मैं अपनी माँ , पत्नी से आंखे भी नहीं मिला पता , बच्चों को भी गलत काम करने से रोकता हूँ तो मुझे ही सुनने को मिलता है ," ;अपने आप सुधरा होता तो बच्चे भी सुधरे होते " . कभी कभी ख्याल आता है की आत्म हत्या कर लू पर फिर आँखों के सामने बच्चों का चेहरा आ जाता है और अपने
आप को यह कहकर रोक लेता हूँ की मेरे बाद इनका क्या होगा .आज 10 दिन से बीवी ने बात नहीं की , माँ ने प्यार से नहीं पुकारा , रात को चुपचाप आंसू बहता हूँ और सुबह अपने काम पर निकल जाता हूँ , शायद यही ज़िन्दगी है , और मेरी गलती की सजा भी लेकिन अपनों का एक घर में होते हुए भी आपस में बात न करना मौत सी भी बड़ी सजा है