shabd-logo

गलती की सजा

25 जून 2016

180 बार देखा गया 180

आज बहुत तनहा तनहा सा महसूस कर रहा हूँ , शायद आज अपने गलत कमो  की वजह से खुद को खुद से से दूर पाता हूँ , आज मैं अपनी माँ , पत्नी से आंखे  भी नहीं मिला पता , बच्चों को भी गलत काम करने से रोकता हूँ तो मुझे ही सुनने को मिलता है ," ;अपने आप  सुधरा होता तो बच्चे भी सुधरे होते " . कभी कभी ख्याल आता है की आत्म हत्या कर लू पर फिर आँखों के सामने बच्चों का चेहरा आ जाता है और अपने

 आप को यह कहकर रोक लेता हूँ की मेरे बाद इनका क्या होगा .आज  10 दिन से बीवी ने बात नहीं की , माँ ने प्यार से नहीं पुकारा , रात को चुपचाप आंसू बहता हूँ और सुबह अपने काम पर निकल जाता हूँ , शायद यही ज़िन्दगी है , और मेरी गलती की सजा भी लेकिन अपनों का एक घर में होते हुए भी आपस में बात न करना मौत सी भी बड़ी सजा है 



 
स्नेहा

स्नेहा

कभी कभी गलती का अहसास होते होते बहुत देर हो जाती है. अपने पौरुष पर कोई भी सलाह अहम को चोट पहुंचाने वाली लगती है. परन्तु वो झूठा पौरुषत्त्व का अहसास भी गलत परवरिश का नतीजा होती है. जो की समय के साथ विशेषकर बच्चों के बच्चे होने के साथ ही समझ आती है. ऐसे में जो बीत गया वो तो समय बर्बाद हो ही गया., परन्तु सच्चे मन से अहंकार को मिटा कर छोटो से भी छमा मांगकर फिर से प्रेम से प्रयत्न करना ही सही समझदारी है.

25 जून 2016

किताब पढ़िए