I am a student as well as a writer.
निःशुल्क
धारावाहिक भाग- १यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था और यह 27 सितंबर 1931 को लाहौर के अखबार "द पीपल" में प्रकाशित हुआ था। इस लेख में भगत सिंह ने ईश्वर की उपस्थिति पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े कि
नजरें वह हमसे चुराने लगे हैं।महफ़िल किसी और के सजाने लगे हैं।।बात करने के बहाने जो कभी ढूंढा करते थे ।आज बात न करने के बहाने बनाने लगे हैं।।छोटी-छोटी गलतियों पर रूठ जाने लगे हैं ।लगता है दिल में किसी
<div>कोशिशें लाख होगी,भले ही असफलता साथ होगी</div><div><span style="font-size: 1em;">कोशिशें लाख होग