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गुरूदेव

24 फरवरी 2015

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कोलकाता में रबीन्द्र संग्रहालय मुझे बहुत पसंद है. गुरूवर रबीन्द्रनाथ की बचपन से पूरे जीवन का चित्रमय बर्णन रोमांचित करता है.उनके चीन और जापान यात्रा के चित्र दर्शनीय हैं. गांधी जी की उपस्थिति भी कुछ चित्रों में है,जो ऐतिहासिक महत्वपूर्ण तथ्यों के चिंतन के लिए मजबूर करता है.गांधी जी १९१५ में दक्षिण अफ्रीका में अपने सत्याग्रह की सफलता के बाद भारत लौटे और भारत की दुर्दशा के बारे में हिंद स्वराज में एक लेख लिखा. इस लेख और इसके प्रभाव का जिक्र उन्होंने अपने ३१ मार्च १९१५ के भाषण में किया,जो कोलकाता स्थित कालेज स्कवेयर में हुआ था.उनका कहना था की मेरे राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले ने मेरे हिंद स्वराज के लेख को पढकर यह सुझाव दिया है कि मैं साल भर तक भारत भ्रमण में अपने आँख और कान तो खुला रखूँ ,लेकिन मुँह बन्द,जो भाषण देने के लोभ के कारण संभव नहीं हो सका.बंगाल भ्रमण के दौरान वे कविगुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर से भी मिले थे. इसके बाद के एक भाषण में अप्रिय स्थिति हो गई थी.४ फरवरी १९१६ को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का उदघाटन समारोह हुआ,जिसके अध्यक्ष सर रामेश्वर सिंह (दरभंगानरेश) थे.इस कार्यक्रम में अनेक राजा उनकी महारानी इत्यादि कीमती वस्त्रों व गहनों से सुसज्जित थे.गांधी जी के भाषण में कीमती वस्त्रों व गहनों को गरीब देश तथा स्थिति में बचने की सलाह को सुनकर अनेक गणमान्य राजा-रानी सभा से उठाकर चले गए,भाषण भी लगभग अधूरा रहा, लेकिंन गांधी जी अपनी राय पर अडिग थे और उनके राजनीतिक गुरू की सलाह भी सही थी.......................

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