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दरभंगा, बिहार, शिक्षक, सृजनात्मक साहित्य, खेल, नाट्य मंचन, सामाजिक क्रिया-कलापों में रूचि

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जीवन-गीत

14 फरवरी 2017
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ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है।आँखों में मस्ती लबों पर जाम है।अतीत के गह्वर में घिरा न करव्यतीत हुआ वह व्यर्थ है सोचा न करकर्तव्यपथ पर अहर्निश बढ़ता ही चलपीछे पलट कर देखना क्या काम हैज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है। भविष्य के भुलयों में भुला न करस्वप्निल हिलोरों पर झुला न करये खवाब है जिसकी कोई ताबीर नही

खत्म-सी होती ये कहानियाँ क्यों है..

14 फरवरी 2017
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कुछ तो बता ए-जिन्दगी ये हैरानियाँ क्यों है हर कदम, हर मोङ पर परेशानियाँ क्यों है आसुँ के धारे और मायूसी का अन्धेरा हैं हर पल ज़िन्दगी में गमों कि मेहरबानियाँ क्यों है हर तरफ तन्हाइयां, हर तरफ मायूसियाँ मिली इस भरी दुनियाँ में मेरे लिए वीरानियाँ क्यों हैं मैंने तो अभी आगाज़ किया है ज़िन्दगी का फिर खत्म-

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