नई दिल्ली : अरविन्द केजरीवाल के दाहिने हाथ और दिल्ली डायलोग कमीशन के उपाध्यक्ष आशीष खेतान का झगडा कमीशन के सचिव आशीष जोशी से न हुआ होता तो शायद आज केजरीवाल को अपमान का घूँट न पीना पड़ता। दिल्ली के सीएम केजरीवाल भले ही कैमरों के आगे कितने ही तेवर दिखाने की कोशिश क्यों न करें लेकिन असल हकीकत यह भी है कि उनके प्रमुख सचिव की काली करतूत उजागर होने के बाद पार्टी की साख पर बट्टा जरूर लग गया है। सूत्रों के अनुसार आशीष खेतान जब दिल्ली डायलोग कमीशन के उपाध्यक्ष बने तो कई मुद्दों को लेकर उनकी सचिव आशीष जोशी से अनबन हुई। गर्म मिजाज के खेतान और 1952 बैच के भारतीय संचार सेवा अधिकारी आशीष जोशी की लड़ाई जब बढ़ने लगी तो कमीशन में भर्ती को लेकर भी बबाल मच गया। सचिव जोशी ने न सिर्फ खेतान पर गड़बड़ी के आरोप लगाये बल्कि अरविन्द केजरीवाल के निजी सचिव राजेन्द्र कुमार पर भी निशाना साधा।
गुटखा खाने के बहाने जोशो किया गया DDC से बाहर
इस झगडे को लेकर इंडिया संवाद ने उस वक़्त पड़ताल की थी जिसमे यह बात सामने आई थी कि आशीष जोशी ईमानदार छवि वाले अधिकारी रहे हैं। जिनसे गलत काम करवाए जा रहे हैं। दरअसल खेतान को जब आशीष जोशी के खिलाफ कोई सबूत नही मिले तो उन्होंने जोशी पर तम्बाकू, गुटखा खाने और बियर पीने जैसे आरोप लगा डाले और उन्हें कमीशन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इंडिया संवादको दिए गए इंटरव्यू में आशीष जोशी ने माना था कि वो गुटखा खाते हैं लेकिन यह उनका निजी मामला है, जिसे सरकारी काम से जोड़ना हस्स्यस्पद है। जब पूरी पार्टी आशीष जोशी जैसे इमानदार अधिकारी के खिलाफ एकजुट हो गई तो जोशी ने भी राजेन्द्र कुमार को बेनकाब करने की ठान ली।
केजरीवाल ने कोई कार्रवाई नही की तो CBI को लिखी चिट्ठी
आशीष जोशी ने अब एक व्हिसिलब्लोवर के रूप में राजेन्द्र कुमार को बेनकाब करने के लिए AIIMS मामले के व्हिसिलब्लोअर रह चुके संजीव चतुर्वेदी से भी संपर्क किया। जिसके बाद आशीष जोशी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के निदेशक से भी मिले। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने केजरीवाल को आज से 6 महीने पहले बाकायदा इस बाबत चिट्ठी भी लिखी लेकिन केजरीवाल ने कुछ नही किया। जोशी इस मामले में दिल्ली के एलजी से मिले और एलजी ने मामला एसीबी के पास भेज दिया। इसके बाद जोशी ने राजेन्द्र कुमार की सीबीआई में शिकायत कर दी।
आशीष जोशी ने ये आरोप लगाये थे राजेन्द्र कुमार पर
13 जुलाई को आशीष जोशी ने सीबीआई को लिखा, जिसमे जोशी ने लिखा कि राजेन्द्र कुमार कई पूर्व अफसरों की कंपनियों को फायदा पंहुचा रहे थे। ये पूर्व अफसर वही थे जो कभी राजेन्द्र कुमार के साथ काम करते थे और उन्होंने रिटायरमेंट लेकर कंपनी बनाई।सरकार के साथ रहते हुए राजेन्द्र कुमार ने इन्ही अफसरों को ठेके दे दिए। राजेन्द्र कुमार ने इंडेवर्स सिस्टम प्राइवेट नाम की कंपनी बनाई और 2007 में पीएसयू के तहत रजिस्टर्ड करवाया जिसके तहत बिना ठेके के काम दिया जा सकता है। आरोप के तहत राजेन्द्र कुमार ने 50 करोड़ से ज्यादा के ठेके बिना टेंडर के दिए गए। यही नही एक ठेका केजरीवाल के पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए भी 2013 से फ़रवरी 2014 के बीच राजेन्द्र कुमार की कंपनी को दिया गया।