हम याद आएंगे...
हम याद आएंगे
पहले प्यार के
चुंबन की तरह
सावन और जेठ के धूप की तहर...
महुआ और नशा की तरह
नशा और मौसम में झरी की तरह
मौसम और चौखट की तरह
पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले
प्यार के चुंबन की तरह..
हम याद आएंगे
पहले प्यार के चुंबन की तरह
खेत के मेड़ पर
दौड़ कर बैठ जाने की तरह...
हम याद आएंगे
पहले प्यार के चुंबन की तरह..
महुआ और नशे की तरह
आंखों में समंदर की तरह
हम याद आएंगे
पहले प्यार के
चुंबन की तरह
खुशी और हंसी की तरह..
रचना...
रचना क्या है..
यह एक समंदर है
राहों के राहगीर
मंथन ही तो समंदर है...
अनोखा है
जल-संसार
जीवों की अनुठी दुनिया
असीमित है यह संसार
लाल, पीले रंगों की
गजब है दुनिया
अजब है संसार
गजब है रिश्तों की दुनिया
अनूठा पल
प्यार का अनूठा पल
दौड़ती है, चूमती है
खेलती है, रुठती भी है
यही तो है अनोखा पल
लिखती है, पढ़ती है
बताती है और पूछती है
झूमती है, तस्वीर देखती है
आइने में अपने को सवारती है
चूमती है, झूमती है
क्या- क्या नही कह जाती है
पढ़ाई के क्रम में
किताबों में डूब जाती है
मन के आईने में
माता-पिता और बहन को
रि्श्तों को
रिझाती है रुठती है और क्या क्या नहीं कह जाती है
गोरी, लंबी
और तुमकमिजाजी है
उम्र के पड़ाव पर
खेलती है, रिश्तों को संवारती है
प्यार के पल को रिझाती है
रिश्तों के संसार को निभाती है
बहन, मां और पिता के
प्यार को सहलाती है
अनोखे पलों में सबको प्यार लुटा जाती है
रिश्तों का अलबेला
यही तो अनोखा है संसार
प्यार के पलों को
निभाने का जरिया
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राष्ट्र को चुनौती
रुश और यूक्रेन की धरती से
उठा आक्रोश का ज्वाला
इससे कई हथियारों की
शुरु हो गई आजमाइश
बम और राकेट गिरे
खंडहर का खाका बना
अच्छा भला शहर कंगाल बना
हुई मानव हानि
हथियारों की शुरु हुई
आंधी दौर खूबसूरत
धरती के हलाहल का
शुरु हुआ दौर
राज्य की संकल्पना
मिटने की है बारी
मनीषियों ने मेहनत से
बनाई थी दुनिया की तस्वीर