मैं गीता देवभूमि उत्तराखंड से मुझे लेखन कला, शिक्षण कार्य और सामाजिक कार्यों में बेहद रूचि है |
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देवभूमि उत्तराखंड मेरे ज़हन में रचती बसती है|
कुछ प्राणियों को जीवन में खुशी कभी नसीब ही नहीं होती| उनके नजरिये के वश वो हर ओर और हर किसी में हमेशा कमियाँ ही ढुंढते रह जाते हैं| उन्हें लगता है कि संसार में उनका अपना कोई नहीं है | इस कारण वो किसी
देवभूमि उत्तराखंड के बदलते परिवेश से मैं कभी - कभी गहन सोच में पड़ जाती हूँ, कि कैसे सब कुछ बदल सा गया है, लोगों का रहन - सहन और खासकर नजरिया इसे सकारात्मक भी कह सकते है | अब नई पीढ़ी अपने भविष्
लैंगिक सशक्तिकरण वर्तमान में बेहद गंभीर समस्या है|