
ये खेल...जो दोबारा शुरू हुआ है...
इसका पुराना खिलाड़ी हूँ मैं।
सारे क़ायदे जानता हूँ इस खेल के....औरों से बेहतर जानता हूँ इसे
सिकंदर बना दिया इस खेल ने मुझे......
सब कुछ जीतता आया...बस यहीं हार गया
ऐसा नहीं वो जीत नहीं सकता था.....
पर काफी कुछ है दुनिया में जो सिर्फ ठानने से नहीं मिलता......
उसके मिलने की अलग शर्तें होती हैं......
इस खेल से उन्हीं शर्तों को जाना है मैंने
इस बार ज़रूर जीतूंगा मैं क्योंकि कैसे खेलना है....
इस बार मुझे पता है।