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पिया का घर

4 सितम्बर 2022

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एक मुखिया के घर बहुत दिन बाद एक बेटी पैदा हुई . मुखिया बहुत खुश था वह अपने घर और मुह्हले में मिठाईया बटवाया .  
अपनी बेटी को लाड़ प्यार से पाला पढाया , बेटी के एक आशु से मुखिया और उसकी पत्नी का दिल दहल उठता था.  बेटी बड़ी हुई उसे अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलाया
सिखने बोलिये ो यंहा घर के काम में ध्यान नहीं देती है.
बेटी के लिए एक अच्छे जॉइंट परिवार से रिश्ता आया लड़का एक कंपनी में अच्छे पद पर कार्य करता था.
लड़की के पिता पूरे धूम धाम से शादी के लिए तैयारी कर रहे थे . और लड़के वाले का कोई दहेज़ का भी मांग नहीं था.
विवाह अच्छी तरह संपन्न हुआ बेटी विदा हो गई . पिता माता के आँखों से आशु का बरसत हुआ बेटी भी बहुत रोई.
पति के घर जाते ही कुछ समय तो सब ठीक रहा पर बेटी को पारिवारिक सामाजिक ज्ञान नहीं होने के कारण वह घर में नहीं रह पा रही थी. हर दिन अपनी माँ को फ़ोन करके हर एक छोटा से छोटा बात को बताती थी और उसकी माँ उसे समझने के वजय उसका साथ देती थी और कहती थी तुझे जैसा ठीक लगे करो हमलोग है .
ऐसे चलता गया और लड़की का घर ख़राब होता गया . लड़का बहुत उदास था पर लड़की लड़के को उसके परिवार से अलग करना चाह रही थी.
एक समय लड़की वाले लोग समाज के साथ गे और सुलझा करने का कोसिस किये पर लड़की वाले पैसे का घमंड में चूर थे.
लड़की को अपने घर ले आय पर जब लड़की को अपने ही परिवार में माँ के घर में भाई भाभी का प्यार नहीं मिला और माँ पिता का भी तबियत खराब देखि तो ो धीरेधीरे समझ रही थी ो क्या भूल की. 
ो अपने पति को कॉल की माफ़ी मांगी और खुद के ग़लती को समझि की काश मुझे मेरी माँ मेरी गलती को प्यार में न बदलती तो शायद इतना कलाह न होता.
ो पति को फ़ोन करके खूब रोई और उनके पास चली गई पहले तो पति को विश्वास नहीं हुएपर ओ अपना बिस्वास जगाई और परिवार में एक बेटी बनकर रहने लगी.
ो समझ चुकी थी शादी के बाद पति का घर में ही दुनिया होती है. 



ये कहानी मेरा लिखने का यह तात्पर्य है की आजकल बेटी का घर तबाह करने के पिचि उसकी अपनी माँ का हाथ होता है अगर माँ उसे अपने परिवार में ढलने का सलाह नहीं दी तो बेटी का घर तबाह होगा. क्योंकि अगर पानी को जैसे बर्तन में डाला जाय ओ वैसा ही आकार लेता है न की अपना वही रूप में रहता है.


दुनिया की सभी माताओं को मेरा प्रणाम कृपया ये समझे  यंहा सच्चा ज्ञान प्रेम से सब प्रेम से भगवान बस में आ जाते तो इंसान क्यों नहीं बच्चों को प्रेम और धैर्य सिखाय. 

राधे राधे जय श्री कृष्ण 

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4 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
Rishta ko bachane ka kala
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🌼🌸🌺💐🍄🍄🍁🍂🎋🌷🌹🍁🍂🍃🎋🌾💐 एक किताब की तरह हूँ मैं कितनी भी पुरानी हो जाए. पर उस के अलफ़ाज़ नहीं बदलेंगे कभी याद आये तो पन्ने पलट कर देखना हम आज जैसे है कल भी वैसे ही मिलेंगे....

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