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जॉय बनर्जी "संजॉय" के बारे में

जॉय बैनर्जी मूलतः उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। लेखन इनका शौक है व इनकी अनेकों कहानियां, लघुकथाये व कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में स्थान पा चुकीं हैं। "क्षणिकाएँ" लिखना इनका प्रिय शगल हैं। पेशे से शिक्षक रह चुके, वर्तमान में डीएवी स्कूल राजस्थान में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं। दिन भर की आपाधापी के पश्चात भी कुछ समय लेखन को अवश्य देतें है। "द्रौपदी.. तुमको अट्ठहास नहीं करना था" इनका प्रथम "क्षणिक संग्रह" है।

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जॉय बनर्जी "संजॉय" की पुस्तकें

द्रौपदी तुमको अट्ठहास नहीं करना था

द्रौपदी तुमको अट्ठहास नहीं करना था

कविता संग्रह

2 पाठक
124 रचनाएँ
50 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 73/-

प्रिंट बुक:

239/-

द्रौपदी तुमको अट्ठहास नहीं करना था

द्रौपदी तुमको अट्ठहास नहीं करना था

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जॉय बनर्जी "संजॉय" के लेख

द्रौपदी.... तुमको अट्टहास नहीं करना था

4 अक्टूबर 2022
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१द्रौपदी....नहीं करना था तुमको अट्टहास,निषिद्घथा,अनाधिकृत थातुम्हारा हंसना हिमालयी सत्य परअपेक्षित था तुमसे संयम,पांडु कुल की मर्यादा के बोझ सेअपने उच्श्रृंखलता का मर्दन..२द्रौपदी.....नहीं बोलना था तु

.....और परुषणी बहने लगी

4 अक्टूबर 2022
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वो नदी, जो बहती थीमेरे खेतों को छूती, सहलाती.. कहाँ गयी? किस गति गयी?वर्षों पहले,खेतों में मेरे,जी उठा था नन्हा जामुन का पेड़उससे मिलने आतीपानी दे जातीऔर,वो नन्

विंडचाइम-2

4 अक्टूबर 2022
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दरवाज़े खुले हैंबेधड़क चली आना…तुम्हे छू करजब हवा,#विंडचाइम कोछेड़ती है ना..वो #दस्तक काफी हैमेरे लिये.......और परुषणी बहने लगी

विंडचाइम-1

4 अक्टूबर 2022
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मैंअंदर आते हुएअपनी बातों को"विंड चाइम" पेटांग देता हूँ,वो बोलतीं हैएक दूसरे सेलिपट के,मेरी बात,मैं सिर्फदेखता हूँतुमकोउनकी तकरारोंके बीच..विंडचाइम-2

स्मृति-2

4 अक्टूबर 2022
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स्मृतियाँ..अधूरे प्रेम काक्रूर प्रतिशोध हैं..विंडचाइम-1

स्मृति-1

4 अक्टूबर 2022
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स्मृतियां,बिना भूले..मन केकिसी कोने मेंसमाधिस्थ,प्रेम परमौन कातर्पण करतीं है..स्मृति-2

पीड़ा-7

4 अक्टूबर 2022
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“विदा” का मर्मद्रौपदी से पूँछोसुयोधन से पूँछोगुडाकेश से पूँछोकुंती से पूँछोकृष्ण से पूँछों...जिन्होंने..भोगा है...अद्भुत पीड़ा केसंताप-सुखका चरम,कर्ण से बिछोह की..स्मृति-1

पीड़ा-6

4 अक्टूबर 2022
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हर “दर्द” की भीअपनी “बेपनाह”ख़ूबसूरती होती है..“फ़र्क”सिर्फ इतना,महसूस कहाँ करतें है“दिल में” या,“दिमाग़ से”?..पीड़ा-7

पीड़ा-5

4 अक्टूबर 2022
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दुःख स्थिर हैवो उतना ही आज हैजितना कल थाऔ उतना ही कल भी रहेगा..बढ़ता-घटता हैतो सिर्फ हमारा #समर्पणउसे स्वीकारने का....पीड़ा-6

पीड़ा-4

4 अक्टूबर 2022
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दुःख..शातिर होता है,वो तोड़ता हैहमकोअलग अलगतरीके से..किसी कोहंसाते-हंसातेहुए तोड़ना,उसकी सबसेप्रिय औ निर्ममचाल है..पीड़ा-5

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