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कही अनकही

5 अक्टूबर 2022

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नमस्कार मित्रों मेरा नाम अनु है। मैं एक खुशमिजाज लड़की हूं बचपन से ही मुझे सवरने का बहुत शौक रहा है। मेरे माता पिता की हम तीन बेटियां हैं मेरे पिता का कोई बेटा नहीं था इसलिए उन्होंने हम तीनो को लड़कों की तरह रखा। बचपन से ही मैने मेरी माँ को लड़का न होने के कारण ताने सुनते हुए देखा फिर भी वो हमेशा मुस्कुराती रही। मेरे फॉदर ने एक दो बार लोगों की बातें सुनी और फिर नजरंदाज कर दिया। हम तीनो अपने में ही खुश रहते थे एक दूसरे की टांग खींचना एक दूसरे को पापा मम्मी से दांत पढ़वाना जो की हर घर के बच्चों की कहानी है।

देखते ही देखते हम तीनो बड़े हो गए दीदी के लिए लड़का देखने लगे मम्मी पापा रिश्तेदारों से रिश्ते पूछते थे तो रिश्तेदार हमारा बैंक बैलेंस देख के लड़के बताते ये सोच के की लड़कियां ही लड़कियां सब इनका ही है पर लड़कियों का मतलब ये तो नही की मां बाप बेटियों की शादी कर के खुद सड़क पर रहने लगते।

लोगों ने ऐसे ऐसे रिश्ते बताए जहां हम तीनो में से कोई रह ही नहीं सकता था क्योंकि हमारे मां बाप ने बचपन से ही हमे शहर में रखा। आज के समय में लोग अपनी दुश्मनी निकलने के लिए दूसरों के बच्चों की जिंदगी दाव पर लगा देते हैं शादी करने के नाम पर। मेरी बड़ी बहिन की शादी के लिए कई लड़के देखे गए फाइनली एक लड़का पसंद आया शादी हुई

वो कहते हैं ना जब सब अच्छा चल रहा हो तो कुछ लोगों को रास नहीं आता मेरी बड़ी बहिन के ससुराल में उसको मेंटली हुर्रास करना शुरू किया गया हालांकि उनको पति ने हमेशा उनका साथ दिया इसलिए मेरी बहन ने अपनी हिम्मत नही तोड़ी। एक बार इतना ज्यादा उसको परेशान किया गया की उसने अपनी जान लेने की कोशिश की और घर पर कुछ नही बताया।

मैं मेरी मां उसके घर गए हुए थे तब बातों ही बातों में जब मुझे ये पता चला कि उसने अपनी जान लेने कि कोशिश कि थी ये सुन कर मुझे इतना गुस्सा आया की मैने अपने जीजा को बहुत सुनाया। हमने समय दिया सब ठीक करने और होने को धीरे धीरे समय बीतता गया सब सही हो गया। तब तक मेरी शादी की उम्र हो गई थी मेरे लिए कई लड़के देखे जिनको मैं रिजेक्ट करती गई मेरे मां बाप बहुत परेशान हो गए। मुझे शादी के नाम से ही डर सा बैठ गया था क्योंकि मैंने अपनी किसी भी दोस्त को शादी के बाद खुश नहीं देखा था। हार मान के मैने एक लड़के को हां बोल दिया मां पापा की खुशी का ठिकाना ही नहीं था वो बहुत खुश थे मगर मैं नही।

जैसे तैसे मैने लड़के से बात करना शुरू किया मेरे मां पापा के बोलने पर उस लड़के ने मुझे मेंटली हर्रास करना शुरू कर दिया मैने घर पर कुछ नही बताया ये सोच के की पापा मम्मी की खुशियां न खराब हो जाएं। झेलती रही मैने फोन उठाना बंद कर दिया ऐसे करते करते समय निकलता गया और मेरी इंगेजमेंट हो गई उस इंसान से फिर तो मानो जैसे उसे परमिशन मिल गई थी मुझसे कुछ भी बोलने की सुनते सुनते मेरी शादी का टाइम आ गया कार्ड भी बट चुके थे।

मेरा मन गवाही नहीं दे रहा था शादी करने को मानो ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे रोक रहा हो अपनी ज़िंदगी मत बर्बाद कर अपने घर वालों को खुश करने के लिए रात रात भर रोती थी ये सोच के की कैसे बोलूं की मुझे शादी नहीं करनी इस इंसान से। डिप्रेशन में आने लगी थी चुप चुप रहने लगी ये सब मेरे मां बाप ने नोटिस कर लिया कई बार मुझसे पूछा तू खुश है मैने सिर हिला दिया हां क्योंकि मैं उनको खुश देखना चाहती थी और ये भी सोच लिया था की अगर मेरी ज़िंदगी शादी के बाद खराब होने वाली है तो मैं अपनी जान ले लूंगी क्योंकि ऐसी शादी का क्या फायदा जिसमे मैं खुश ही न रहूं ज़िंदगी तिलतील के जीनी पढ़े। मैने पूरा प्लान कर लिया था की शादी के बाद मैं अपनी जान दे दूंगी पर ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था मेरे मां बाप को मेरी तकलीफ समझ आ गई थी मैने सब कुछ बता दिया कि मैं खुश नहीं हूं और ना ही खुश रह पाऊंगी क्योंकि वो इंसान अच्छा नही है लड़के वाले बहुत लालची हैं जो दिख रहे हैं वो वो नही हैं मेरे पिता ने मुझसे पूछा की जो तुम बोलोगी वही होगा और उन्होंने वही किया। मेरे घर वालों ने मेरा साथ दिया और उनको मना कर दिया की हमे शादी नही करनी अपनी बेटी की लड़के वाले बहुत पीछे पढ़े रहे पर मेरे मां बाप ने हिम्मत नहीं तोड़ी अपनी। मेरे कारण पूरी फैमिली सफर कर रही थी रिश्तेदारों का फोन पर फोन आने लगे शादी क्यों नहीं कर रहे हो मजाक उड़ाने लगे वहीं कुछ रिश्तेदारों ने सराहना की हिम्मत दी।

मुझे लगता था की दुनिया इतनी भी बुरी नही पर उस समय लगता था दुनिया बहुत बुरी है लोग कुछ भी बोल के चले जाते थे जैसे मानो शादी से माना करने पर मुझे फांसी पर लटकाया जाए। मेरे वो दिन मैं भूल नही सकती की कैसे मेरी फैमिली ने वो टाइम झेला है सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से। मुझे मेरी फैमिली के लिए सबसे लकी माना गया है मगर वो समय मानो मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे की मैं मेरे ही घर की खुशियां खा गई थी डिप्रेशन में चली गई थी किसीसे बात न करना कहीं बाहर न जाना अपने अपने घर में कैद कर के रख लिया था मैंने इस डर से की कहीं कोई ये ना बोल दे की तुम्हारी तो शादी टूट गई है न क्यों मानना किया तुमने शादी करने से ऐसा भी क्या किया उस लड़के ने मतलब ढेरों सवाल लोगों के।

समय निकलता गया मेरे लिए फिर लड़के देखना शुरू किया गया फिर मैंने सोच लिया की मुझे अब करनी ही नहीं है धीरे धीरे मैं हंसने लगी पहले की तरह लाइफ धीरे धीरे ट्रैक पर आने लगी थी। मेरी दीदी ने मेरी प्रोफाइल बनाई मेट्रीमोनियल साइट पर कई लड़कों को देखा मैने पर मुझे मेरे जैसा चाहिए था या थोड़ा मुझे काम ज्यादा। मेरी कोई पसंद न पसंद नही थी क्योंकि मुझे एक साथी चाहिए था ना की कोई शौपीस मुझे एक लड़का पसंद आया जिसका नाम दीपक था सांवला सा चश्मा लगता हुआ हाइट मुझसे चार पांच इंच ज्यादा मैने मेरे घर पर बताया उसके बारे में मेरे घर वालों ने सबसे पहले यही पूछा की तुझे पसंद है फैमिली इतनी बड़ी है एडजस्ट कैसे करेगी सारी पहननी पढ़ेगी कैसे रह पाएगी ऐसे घर में मैने बोला मैं कर लूंगी फाइनली किसी तरह बात आगे बढ़ी दोनो फैमिलीज राजी हो गई शादी के लिए और हमारी शादी हो गई।

शादी से पहले मुझे डर लगता था लड़के ऐसे होते हैं वैसे होते हैं दोस्तों के मुंह से सुना था की ऐसा होता है वैसा होता दोस्तों जो मैने झेला है उसके बाद मैं यही बोलना चाहती हूं की कभी कभी भगवान आपके लिए कुछ और ही सोच के रखते हैं बेहतर बेहतर किं तालश में हम गलत चीज को अपनाने लगते हैं तो ईश्वर पर हमेशा अपना विस्वास बनाए रखिए दुनिया दिखा दे सकती है ईश्वर कभी धोखा नहीं देंगे क्यों की वही सब कुछ रच के रखते हैं।

मैं आज अपनी ज़िंदगी हसी खुशी जी रही हूं क्यों कि मैने हिम्मत नही हारी लड़की होने पर हमेशा फर्क करना समाज कुछ भी बोले अपनी ज़िंदगी अपनी है किसी और की नही और समाज धीरे धीरे बदल रहा है और बदलेगा और हम ही इस समाज को बदल सकते हैं।

चलती हूं दोस्तो अपनी दूसरी कहानी लाऊंगी बहुत जल्द तब तक के लिए नमस्ते 🙏

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