राज योग में होगा शिव परिवार पूजन , चंद्रमा को देंगे अर्घ्य
पं अंकित मार्कण्डेय के मुताबिक कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है जोकि 8 अक्टूबर, रविवार को है ...
विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना हेतु साथ-ही कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहा वर पाने के लिए व्रत करती है एवम चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत को पूरा करती हैं। इस व्रत में रात में शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा के तस्वीरों और सुहाग की वस्तुओं की पूजा का विधान है। इस दिन निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य अर्पण कर भोजन ग्रहण करना चाहिए।
प्रति वर्ष क्यो करती है महिलाएं व्रत...
करवा चौथ का व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु तथा प्रेम सम्बन्ध के स्थायित्व करने के लिए करती है। छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
चन्द्रदर्शनमुहूर्त..
रात्रि 8:10 से 8:47 के बीच
पुराणों वर्णित....
द्रोपदी द्वारा शुरू किए गए करवा चौथ व्रत की आज भी वही मान्यता है। द्रौपदी ने अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था और निर्जल रहीं थीं। महाभारत के अनुसार पांडवों की विजय में द्रौपदी के इस व्रत का विशेष महत्व था।
कब से प्रचलित में है करवा चौथव्रत...
सबसे पहले यह व्रत की महिमा महाभारत में श्री कृष्ण ने स्वयम अपने मुख से द्रौपती को सुनाई थी ,
कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। यह व्रत तबसे अनन्त फलदायी माना गया है
दरअसल करवा चौथ मन के मिलन का पर्व है. इस पर्व पर महिलाएं दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं और चंद्रोदय पूजा-अर्चना के बाद अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। व्रत तोड़ने से पूर्व चलनी में दीपक रखकर, उसकी ओट से पति की छवि को निहारने की परंपरा भी करवा चौथ पर्व की है।
इस दिन महिलाए अपनी महिला मित्रो को करवे, साड़ी व श्रृंगार सामग्री प्रदान करती हैं। पति की ओर से पत्नी को तोहफा देने का चलन भी इस त्यौहार में है
जिसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है।
क्या रखें करवा चौथव्रत में सावधानियां
व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
करवा चौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है।
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है।
ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए।
इस दिन पूर्ण श्रृंगार और रात्रि में अच्छा भोजन करना चाहिए।
पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं।
यह हैं करवा चौथपूजन विधि....
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें। पूजन के समय निम्न मन्त्र- ''मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। सांयकाल के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें आसार पर बिठाए। मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें। भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और करवे में पानी भरकर पूजा करें। सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन र्निजला व्रत रखकर कथा का श्रवण करें। तत्पश्चात चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।
📝पं अंकित मार्कण्डेय जर्नालिस्ट
🔯 धार्मिक ,सामाजिक , राजनीति क 🕎
शीतला माता मंदिर सराफा खण्डवा
मिडीया प्रवक्ता सराफा नार्मदीय ब्राह्मण चेरिटेबल ट्रस्ट
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