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कविता क्या हैं

25 अप्रैल 2021

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प्रसिद्ध कविवर ने कहा था कि आह से उपजा होग गान नयनों से बही होगी चुपचाप कविता अनजान। कविता तो मन की परतों से निकले भावों की अभव्यक्ति हैं। तो फिर भाव बड़े या कविता का व्याकरण?

दोनों ही महत्वपूर्ण। भाव को लयबद्ध कर दे तो कविता सुमधुर गान का रूप ले लेती है जिसे गुनगुनाया जा सकती। शब्दों की व्यावस्था भी तो महत्वपूर्ण है। जो व्याकरण से सहज नही ऐसे कवि मुक्तक लिखते हैं। सो हर कोई कविता लिख सकता क्योंकि भाव पक्ष पलड़ा भारी हो जाता हैं।

ऐसे कई है जो भारी भरकम शब्द उपयोग करते हैं। यह नीति कवि और पाठक के बीच न पाटने वाली दूरी बना देती हैं। शब्दों के चयन अति महत्वपूर्ण हैं।शब्द भी जीवंत हो उठते जब कवि उसमे जान फूंकते है। सरल और सौम्य भाषा में मन को छू लेती हैं। श्रधेय हरिवंशराय बच्चन जी, महादेवी वर्मा और आचार्य चतुरसेन शब्दों की कुची से शाब्दिक पेंटिंग बनाते थे। ' में नीर भरी दुख की बदली' -कितनी सरल किंतु कितना गूढ़ अर्थ!' सखी, वह कह कर तो जाते, क्या मुझ को पथ अपने बाधा पाते'-कविता में संवाद- कितनी सरलता, कितनी सौम्य पंक्तिया पर कितना कुछ कह जाती थी।

कविता एक सशक्त माध्यम हैं कवि और पाठक के बीच संवाद स्थापित करने का। कविता तो सेतु है कवि और जन मन के मध्य।


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