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केदारनाथ के शिर – डोलेश्वर महादेव

28 जनवरी 2015

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शास्त्रों मे कहा गया है कि कुरुक्षेत्र मे १८ दिनों की महाभारत युद्ध जीतने के बाद भी पांच पाण्डव खुश नही थे क्योंकि उनके हाथों अपने सगे सम्बंधियों, कौरव भाईयों के महाविनाश हुआ था | युद्ध में हजारों की नरसंहार होने के कारण पांच भाईयों राजपाट त्याग कर हिमालय मे देवस्थल की तरफ चल पडे | भगवान शिव से क्षमा मागने के उद्धेश्य से वो केदारनाथ क्षेत्र मे प्रवेश कर गए | लेकिन शिव जी उन भाईयों से नाखुश थे | इसीलिए उन की दृष्टि से ओझल होने के लिए शिव जी ने एक बैल (सांड) का रुप धारण किया | लेकिन पाण्डवों को पता चल गया कि वो बैल दरअसल में भगवान शिव खुद हैं | उन्हें रोकने के लिये उन्होने उस बैल का पूंछ पकड़ लिया और जोर से खींचने लगे ; लेकिन आनन फानन मे अचानक बैल का सर धड से अलग हो गया और कहीं विलिन हो गया | काफी ढूंढने पर भी जब सर नही मिला तो धड को ही शिव मान कर केदारनाथ भगवान के रुप मे स्थापित कर पूजा करने लगे | आज भी केदारनाथ मन्दिर मे उसी बैल के शरीरको भगवान श्री केदारनाथ शिव जी की रूप में पूजा और दर्शन की जाती है | डोलेश्वर महादेव की शिला मूर्ति नेपाल मे एक हिन्दू सेवक भरत जंगम काफी अर्से से खोज मे लगे हुये थे और उन्होने दावा किया कि काठमान्डू घाटी के पास जो डोलेश्वर महादेव का मन्दिर है उसका भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश केकेदारनाथ मन्दिर से अटूट और अन्तरंग सम्बन्ध है | दोनो मन्दिरों मे भगवान शिव की जो शिला की मुर्तियाँ मिले हैं वो चार हजार साल पुराने हैं | यहाँ तक की डोलेश्वर मन्दिर मे मिली हुई एक शिलालेख कन्नड भाषा मे लिखी पाई गई है | दोनो मन्दिरों के पुजारियों का चयन दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, केरल और तामिलनाडु के पुजारियों से होता है | दोनो मन्दिरों मे शिव के पांच स्वरूपों की उपासना होती है और हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार दोनो पुजारियों के कुल देवता शिव जी के सहयोगी बीरभद्र हैं | डोलेश्वर महादेव का मन्दिर चार हजार वर्षों से भक्तजन केदारनाथ के शिर खोजने मे लगे हुये थे | भरत जंगम की अटूट खोज और प्रमाण जुटने के बाद अन्ततः सन् २००९ मे केदारनाथ श्री १००८ जगत्गुरू भीमाशंकरलिंग शिवाचार्य ने नेपाल जाकर डोलेश्वर महादेव के मन्दिर मे रुद्र अभिषेक करते हुये एक शिलापत्र का उद्घाटन और स्थापन कर डोलेश्वर महादेव की जो शिला मूर्ति है उसी को केदारनाथ जी के सर होने का आधिकारिक रूप से प्रमाणित किया | मन्दिर के दीवार पर ये शिलापत्र नेपाली मे है | शिवपुराण कोटी रुद्र संहिता के १९ वें अध्याय मे ये पद लिखे हैं …. तदरुपेंण स्थित्स्तत्र भक्त्वत्सलनामभाक् | नयपाले शिरोभागो गतस्तद्रूपत: स्थित: ||१५|| काठमान्डू महानगर से करीबन २० किलोमिटर पूर्व भक्तपुर शहर के बाहर सुन्दर पहाडियों के गोद मे अवस्थित सिपाडोल गांव के जंगम मठ मे डोलेश्वर महादेव का मन्दिर है | मन्दिर काफी साफ सुथरा और व्यवस्थित है | तरह तरह के पूजा, अर्चना, होम आदि करने के लिए समय, नियम, शुल्क आदि की अच्छी तरह से व्यवस्था की गई है | सन् २०१४ मे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के श्री पशुपतिनाथ दर्शन के बाद भारतीय हिन्दू दर्शनार्थीयों की संख्या मे करीब २५ प्रतिशत वृद्धि होने का दावा पशुपतिनाथ विकास कोष ने किया है | कुछ साल पहले डोलेश्वर महादेव के मन्दिर को केदारनाथ के शिर प्रमाणित किए जाने के बाद अब काफी तादात मे भारतीय हिन्दू डोलेश्वर जाने लगे हैं | जब पिछ्ले महिने मै सपत्निक डोलेश्वर दर्शन के लिए गया था उस समय दक्षिण भारत से आए हुये कई दर्शनार्थी मिले | श्रद्धालुओं की बढ्ती हुई संख्या को देख कर नेपाल सरकार ने भक्तपुर हाइवे के पास जगाती से डोलेश्वर तक जाने वाली चौडी सडक का निर्माण किया है | काठमांडू के केन्द्रीय बसपार्क से डोलेश्वर जाने वाली कई मिनीबसेँ प्रतिदिन मिलती हैं | शनिवार को काफी भीड भाड रह्ता है | डोलेश्वर मे रात ठहरने का कोइ इन्तजाम नही है क्योंकि पास ही सुन्दर ऐतिहासिक नगरी भक्तपुर और काठमान्डू मे होटल, लज आदि सुगमता पूर्वक मिल जाते हैं | मन्दिर सबेरे ६ बजे खुलता है लेखिन मध्यान्ह १२ बजे से १ बजे तक डोलेश्वर के विश्राम के लिए बन्द हो जाता है | फिर शाम ५ बजे बन्द हो जाता है | आसपास दो चार छोटी छोटी दुकानें हैं जहाँ ताजा दूध, फलफूल, चाय, नास्ता, रोटी मिल जाती है | पूजा का पूरा सामान भी वहीं खरीदने को मिल जाता है | महिलाओं और पुरुषों के लिए शौचालय का भी उचित प्रबन्ध किया गया है | Master Plan of future Doleshwor Temple पूरा परिसर का नया निर्माण हो रहा है | मन्दिर कमिटी के एक सदस्य ने मुझे बताया कि आगामी शिवरात्री पर्व तक पैगोडा शैली (पशुपतिनाथ मन्दिर जैसा) का मन्दिर निर्माण करने का काम शुरू हो गया है | एक नया मास्टर प्लान (गुरुयोजना) तैयार किया गया है और मुख्यमन्दिर ही नहीं, कई मकाने बनेंगे, एक मूल द्वार बनेगा और समग्र मे छोटामोटा पशुपतिनाथमन्दिर परिसर की तरह ही दिखेगा डोलेश्वर मन्दिर | नेपाल के ब्राह्मण और पण्डित जी का कहना है कि यदि केदारनाथ की यात्रा पर जाना है तो पहले उनका सर का दर्शन और पूजा करो, उसके बाद केदारनाथ जाओ | रतन थापा, काठमांडू, नेपाल

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