संकेत १७ का अंक अगर कुछेक प्रेम कविता ओं पर आधारित है तो अच्छा संकेत है ये। प्रेम ही है समूची सृष्टि के केन्द्र में जिसने बचा रखा है मनुष्य के अस्तित्व को , वरना कब की विनाश लीला में सब कुछ नष्ट - भ्रष्ट हो जाता। सबसे पहले अदनान कफ़ील दरवेश की ही बात करते हैं। उनकी कविताओं में सम्भावनाएं हैं ,सम्वेदना है। " प्रथम मिलन " तुम्हारी देहभाषा को पढ़ने के बजाय सुनना ज़्यादा पसंद करूँगा स्पष्ट है कि आत्मा तक पंहुचने का ,उतरने की प्रयास सर्वोपरि है। " बातें " बातों की दुनिया लांघ चुके थे जहाँ हम साथ थे चुप थे - - - शुरूआत बातों से शुरू होकर मौन पर खत्म होना संतृप्तता की निशानी है । " एक औरत को घूरते हुए एक आदमी से " शरीर के अंदर एक आत्मा है जिसे देखने के लिए आँखों की नहीं बस थोड़ी सी सम्वेदना की ज़रूरत है। " अपने गाँव को याद करते हुए " ग़ैर मुस्लिम महिलाओं का हाथ में पानी की बोतल लिए, बच्चों को गोद में लिए, नमाज़ियों, इमाम साहब से फुंकवाने के लिए मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठकर इंतजार..उनकी आस्था का प्रतीक है। यही मेरा हिन्दुस्तान है। " गुनाह " पुरूष सत्ता को स्वीकार करते हुए ,,,,, तुम्हारा ही नहीं मेरा भी कि मैंने ख़ुद को ग़र्क किया बेमतलब तुम्हारे लिए । " तुम्हारा होना " दरअसल मेरे होने की पहली ठोस शर्त । " मेरी दुनिया के तमाम बच्चे " एक उम्मीद कि बच्चे खुली फ़िज़ा में लेंगे सांस तुम्हारी दमघोंटू दुनिया से बाहर निकल कर। " हँस मेरी जाँ " तू हँसना छोड़ देगी तो ये दुनिया बेरंग हो जाएगी कोई कवि मर जाएगा । अदनान की कविताएँ उम्मीद जगाती , जीवन जीने को उकसाती हैं । यथार्थ के साथ आशाओं का खुला आकाश आकार लेता है उनमें । ******* जय प्रकाश फाकिर को पढ़ना समकालीन समय से मुठभेड़ करने के समान है ।इनकी कविताओं में बेचैनी है,परेशानी से निजात पाने की छटपटाहट है । चिंताएँ हैं ।अल्प संख्यक कहा जाने वाला ,हाशिए पर ढकेला जा रहा मुस्लिम समुदाय के साथ खड़ा होने का माद्दा है ।हिम्मत है । * आज के नाम आज के ग़म के नाम * मुजफ्फरनगर के बाद दर्जी इदरीस अंसारी होठों को सी लेने के बाद ,कुछ नहीं सिलते ,,,,,,आहहह निकाल देने वाली कविता। भारत किसका नाम है? सवाल ,,,,,तलाश जारी है जवाब की । * सुन्नत * दंगों के बाद किसी हिन्दू का दाढ़ी रखना ।जान की ख़ैर ,,,,ग़नीमत पाजामे का नेज़ा नहीं खोला ,,,,इज्ज़त बच गई ।उफ्फ इन हालातों का सामना करते हुए ज़िन्दगी बसर करते हैं लोग और उफ्फ करने की भी मनाही । * जादू- टोना * तेरा होना जादू - टोना बमुश्किल दो प्रेम कविताएं वो भी ख़ूब । * जो हो गया ,सो हो गया * एकदम सच्ची और कड़वी हक़ीकत " दुनिया की कोई अदालत कब्र में लेटे उन मामलूकों / ग़ुलामों को इंसाफ नही दिला सकीं न सकेगी जो हो गया सो हो गया * छीज रही सुन्दरता की मरम्मत में * ईंट ढोती ,मेहनत - मजदूरी करती महिला ,,,,,कुतुबमीनार की नींव मज़बूत करती और स्वयं के अंदर भी गर्भ में शिशु का निर्माण करती ,,,,,इस स्त्री से सुन्दर और क्या होगा ? * घर जो टूट गया * घर यानि माँ । माँ है तो घर है । माँ नहीं तो ,,,, घर कहाँ ,,,,? * करेजा * " तुमसे भागता हुआ तुम्हीं पर आ पहुँचता हूँ पृथ्वी ही नहीं ,दुख भी गोल है । प्रेम की पराकाष्ठा से सराबोर कविता । ***************** शुक्ला चौधुरी जी की कविताएँ छोटी - छोटी ,ह्रदय स्पर्शी ,मार्मिक ,सजग करतीं,,,,,,समय को चेताती हुईं । # नदी # नदी की मौत की ख़बर यक़ीन नहीं होता बादल एक बार फिर जाओ नदी के पास । पता करो क्या सच में ,,,,,मौत हुई या महज़ अफ़वाह है ये । या बादल तुम ही क्यों नहीं बरस जाते नदी की कोख में जमकर कि फिर से वो हलहलाने लगे । मैं आ रहीं हूँ ,,,,,,ख़बर लेने । # आकाश में अम्मा # कल्पना कि आकाश में भी अम्मा वही सब करती होगी जो धरती पर,,,,,,,, # नींद # भरे पेट नींद भरे ह्रदय नींद कहाँ या पिता के कंधो पे नींद । अलग - अलग आयाम नींद के । # शोक # बहुत अच्छी कविता । शोक न मनाओ उठा लाओ उनकी स्मृतियों का तकिया और उसपर सिर रखकर सो जाओ ।वाहहहह ॥ # चाँद पर लड़की # गिरी हुई लड़की की नथ में बिखरे मोतियों को पिरोकर उसे दे दूंगा । वापस लौट आऊंगा । उसकी हंसी पीठ पर बाँध कर । उद्दाम प्रेम का प्रतीक । # रावण # बुद्धिमान ,बलशाली था । जब कुछ घटित हो जाता है ,तब तुम्हें सागर पर सेतु बनाना सूझता है।धिक्कारती है उन रामों की अकर्मण्यता को । # कवि# कवि ,माँझी की तरह लहरों और हवाओं के विपरीत नाव खेने के समान कार्य करता है।कवि होना कठिन है। # चुप # कुछ दिन यूँ ही रहूँ चुप शांति की अपनी ध्वनियाँ ,अपने राग होते हैं ,जिन्हें ख़ामोश रहकर ही सुना जा सकता है। # दुख # ख़राब हुए नल की टोंटी से टप- टप रिसता पानी लगातार ,,,,,, # काश ऐसा होता # कविता में बहती एक नदी जहाँ ,प्रेम ,उमंगे ,सपने ,हँसी सब कुछ होता जहाँ कोई न रोता । चित्र में ये शामिल हो सकता है: 1 व्यक्ति