इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली : चीन भले ही दुनियाँ के लिए आर्थिक तरक्की का रोल मॉडल हो लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आज भी चीन में गुलाम है। न्यूयॉर्क स्थित पत्रकारों के गैर लाभकारी संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की 2015 की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पत्रकारों को कैद करने के मामले में चीन ने दुनिया के सभी देशों को पीछे छोड़ दिया है। इस सूची में ईरान दूसरे और मिस्र तीसरे नंबर पर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर जिन देशों में सबसे ज्यादा पत्रकार जेलों में बंद किए गए हैं उनमें ये तीन देश सबसे आगे हैं। इस सूची में इरीटिया, इथोपिया और तुर्की भी कुछ ही पीछे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 दिसंबर, 2015 को दुनियाभर की जेलों में 199 पत्रकार बंद थे, जिनमें से एक चौथाई केवल चीन में थे। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कुल 49 पत्रकार जेलों में बंद हैं, जो कि 1990 के बाद से सबसे ज्यादा है।
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने इसी साल से वार्षिक रिपोर्ट जारी करना शुरू किया था। इस सूची में दूसरे नंबर का देश मिस्र में 23 पत्रकार जेल में बंद हैं। पिछले साल करीब एक दर्जन पत्रकारों को जेल हुई थी, जबकि 2012 में यह संख्या शून्य थी।
रिपोर्ट में पूर्वी अफ्रीकी देश इरीटिया को इस मामले में बड़ा उत्पीड़क देश करार दिया गया है। यहां की जेलों में वर्तमान में 17 पत्रकार बंद हैं। संगठन ने तुर्की को लेकर विशेष चिंता व्यक्त की है जहां पिछले साल की तुलना में सीधे दोगुने ज्यादा पत्रकारों को जेल हुई।
भारत में वर्ष 2012 से अगस्त 2015 के बीच विभिन्न निजी टेलिविजन चैनलों के खिलाफ आईं 91 शिकायतों पर कार्रवाई की है। सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने संसद को यह जानकारी दी। राठौड़ ने बताया कि इस कार्रवाई में चेतावनी देना, एडवाइजरी जारी करना, माफीनामा वाले स्क्रॉल (apology scrolls) चलवाना और एक निश्चित समय के लिए चैनल का प्रसारण बंद करना भी शामिल रहा है।