खामोशी
सुबह खामोशी से मिला, बलवान पर ये मासूम होती है, समझ में आती जब भी इसकी आवाज़ मालूम होती है. अदभुत शांति एहसास में, पर लगन जरूरी आभास में, हम उलझ जाएं जब सिर्फ ये है जो सुलझी हुई होती है. रहती बिल्कुल ही स्पष्ट, हर बार कहलाती है ये निष्पक्ष, किसी से लेना देना नही है, ह