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<p> मनुष्य मूलतः एक यायावर प्राणी है. यात्रा उसके जीवन की धूरी है. वह चाहे-अनचाहे बहुधा अपने जी
<p>हे दिनकर!, दिनमान! विश्व के प्राण, हे जीवन के आधार.</p> <p>हे विभावसु,रवि, अंशुमान हे हिरण्य ज्य