हे दिनकर!, दिनमान! विश्व के प्राण, हे जीवन के आधार.
हे विभावसु,रवि, अंशुमान हे हिरण्य ज्योति के आगार!
साध ले तुम्हें हवि, होम से, देवों में भी न यह सामर्थ्य.
हैं अपवाद किंतु वे छठ व्रती, दे रहे श्रद्धा से जो तुम्हें अर्घ्य.
बाल रवि जग पूजता देख, उदित मुदित छवि लाल.
धन्य भारत! जहां अस्तंगत रवि को कोटि नवाते भाल.
छठ की अनेकानेक बधाई. सूर्यदेव की प्रत्यक्ष कृपा आप एवं आपके परिजनों पर सदैव बनी रहे.💐💐🙏🙏