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टीकाकरण (लघुकथा)

23 दिसम्बर 2016
2
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'नमस्ते डाकटरनी साहिबा हम बिमला अभी पिछले महीना आप हमारे बच्चा कराये थे न।' 'अच्छा हम्म' 'ये हमारा लड़का किसन आप बोले थे एक महीने बाद लेकर आये इसको टीके के लिए ' 'हाँ हाँ, ठीक हो अब ? ' 'हाँ जी ' 'दूध आता है ठीक से ' 'हाँ जी आता है ' 'बच्चे को यहाँ लेटाओ वजन करना है इसका '

कि वादे तोड़ने के लिए ही किये जाते है.......

4 जून 2016
4
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एक वक़्त था जब इस जुमले से मुझे ख़ूब चिढ़ मचती थी, लगता था उस शख़्स को कहीं से ढूंढ लाऊँ और सरेआम सूली पर लटका दूँ जिसने ये बेहूदा बात पहली बार कही होगी। पर कमाल तो ये है कि हमने भी इसे हर ज़बान तक ऐसी शान से पहुँचाया जैसे ये जुमला कोई लाइसेंस है अपनी बातों से बार बार मुकर जाने का, अपनी जिम्मेदारियों से

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