जब आप किसी को भी सच्चे दिल से प्रेम करतें हैं,
तब आप वास्तव में उस व्यक्ति के बारें में अच्छी धारणा रखतें हैं,
और ये इसलिए नहीं होता कि आप उसे प्प्यार करतें हैं,
बल्कि ऐसा स्वतः होता है क्योंकि आप उस समय प्रेम के, प्यार के, सद्भावना के अधीन होतें हैं,
ये अच्छाई आपकी नहीं, कि आप उनके बारें में अच्छा सोंचतें, उनके अच्छा अच्छा wish करतें, बल्कि ये गुण प्यार का होता है,
जो हमें अच्छा करने और सोचने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहता है।
यदि आप के हृदय में प्रेम है तो यकीनन आप हर व्यक्ति के बारें में अच्छी धारणा रख पाएंगे।
जब आप प्रेम किसी एक से करते हैं,
तब भी आप उस व्यक्ति के अलावा भी अन्य सभी व्यक्तियों की मनोवृत्ति, आवश्यकता, मजबूरी स्नेह, हर्ष दुःख, और उसकी स्थिति अनुकूल अपेक्षाओं के विषय में बहुत सटीक और सत्य अनुमान लगा सकतें अथवा उनके बारें में जान सकतें हैं।
प्रेम अपने आप में अत्यन्त पवित्र है,
इसको कोई मलिन नहीं कर सकता,
हाँ, यदि मिलनता है, दरिद्रता है, तो वो है हम सब के मनो-मस्तिष्क में,
सबसे पहली बात हम सब प्रेम मान, किसे रहे हैं,
वास्तव में क्या यही प्रेम है,
प्रेम का यथार्थ क्या है,
प्रेम , प्रेमी-प्रेमिकाओं से कहीं अलग अपना स्वतन्त्र अस्तित्व रखता है।
इसको अपना वजूद बनाये रखने के लिए, किसी रिश्ते की पनाह नहीं चाहिए,
ये तो व्यक्ति का वह गुण जी उसे और भी मनोरम और सहनशील बनाता है।
आज का मानव इन सभी बातों से अनजान है, वो किसी और चीज़ को ही प्रेम मान बैठा है।
प्रेम से मनुष्य में सद्गुणों का विकास होता है,
प्रेम नैतिकता पर बल देता है, दूसरों की इच्छाओं का सम्मान करना सिखाता है,
लोग हैं कि हवस प्रेम मान बैठें हैं,
अब आप गलत चीज़ को सही मानेंगे तो परिणाम जाहिर सी बात है सही नहीं आएंगे।