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यू अार माई एंजेल ( कहानी )

7 मार्च 2016

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आसमा मेरे सामने थी ...मेरे लिए परेशान भी..


मैं बेहद सदमे में थी ...बड़बड़ा रही थी.."ऐसा सब कैसे हो गया .." 

मैं डरी सहमी सी थी ..खुद को सँभालने की कोशिश करती हुई ..खुद से ही डरी हुई..


मेरी आँखें फटी सी ...आंसूं भरे हुए...साँसे बहोत तेज़ थी... 


"गौरी ...क्यों परेशान हो ...कुछ  नहीं हुआ  है...सब ठीक है...जस्ट रिलैक्स..


वो  बार बार इन्ही  शब्दों से मुझे  समझा  रही थी ...मैं कुछ  कह नहीं पा रही  थी  ... 


बहोत डरी  हुई  थी..


"आसमा ...मुझे डर है कहीं मैं कमज़ोर न पढ़ जाऊं ..मुझे  खुद को सँभालना है  ..और खुद को बचाना भी "


"गौरी ...प्लीज शांत हो जाओ....तुम बहोत ज्यादा स्ट्रेस ले  रही हो..तुम चाहो तो  ईमान से बात कर लो..सब मेटर  सोल्व हो जायेगा.."


"बात  करना आसान है आसमा ...मेरा  भी खुद पे काबू  बहोत मुश्किल हो रहा मेरे लिए ...मगर  मुझे यही  करना है...मेरे  लिए....क्यूंकि  यही सही  है....मुझे  बाहर निकलना  है इस  जाल  से.... " 


"   अच्छा  ठीक है ..मुझे  बताओ तो  अचानक यह फैसला क्यों ले रही  हो?"


"क्यूंकि अब नहीं तो कब..

कब तक में इस तरह  से खुद को रोता  हुआ देखूं .."


"तुम  प्लीज  मुझे पूरा मेटर बताओगी.....बोलोगी  तो तुम्हारा  दिल  भी हल्का  हो जायेगा...बताओ  गौरी ..प्लीज.. " 


"आसमा .........."


मेरा  गाला  भर आया  था | मेरी  आँखों में आंसू  थे ....जिन्हे  रोकने की बहोत कोशिश में कर  रही थी |


"दो साल पहले ...ईमान ने कहा था ... के वह मुझसे शादी करना चाहता है .. 

और मेने उसकी बात  को बिना परखे  ही यकीन  कर लिया.. शायद  उस वक़्त मैं भी किसी  प्यार  करने  वाले  की ही तलाश  में थी..पिछले  एक  साल  से मैं  उससे  कह रही  हूँ... वो  घर  पे बात करे...मगर  वो हमेशा बहाने  बना  के टाल देता  है..


ठीक है ...हममे   झगडे  भी  हुए  हैं ...मगर  क्या  वो  अपना वादा  तोड़  सकता  है ...मुझे  अब भी विश्वास  नहीं होता .. फिर खुद पे गुस्सा  आता है....की  मेने बस  यूँही किसी की बात पे यकीन कैसे  कर लिया...मैंने सोचा  की वह वैसा है ...जैसा  मैं उसे जानती  थी, मानती  थी...मगर वह वैसा नहीं है..वो  तो कुछ और है....उसने  मुझसे झूठ  बोला...अगर शादी करनी ही नहीं थी...तो  मुझे फसा के क्यों रखा...


मैं  बहोत नादान थी या बहोत कमज़ोर....... पता  नहीं..


मैंने  फैसला  कर लिया है आसमा ...मुझे इस  जाल  से बाहर आना है..."


आसमा  तो चली गयी ..मगर मेरा दिमाग और दिल मुझसे संभाला  नहीं जा रहा था..


मैं घर आई तो घर पे कोई नहीं था...मैं  रोती   रही....आंसू रुकने  का नाम  नहीं ले रहे थे....


शायद जब दिल टूटता है तो ...आँखों के ज़रिये तकलीफ बयां  कर देता  है..........


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कोई सेमिनार  था शायद...मेने सुना  तो आवाज़ में एक आकर्षण  सा था .... 


मैं  भी  वहीँ  कुर्सी  पे बैठ  गयी .. वो बोहत  अछा बोलता था ...उसे  सुन के मेरी आँखों  में  कब आंसू  आए ....... पता नहीं..


मैं खुद से ही बात करने लगी -"क्या  मैं ऐसा ही लड़का चाहती थी...सच  बोलने  वाला ...हिम्मत  वाला..या फिर वह तो महान  लेखक  है..लोग उसे पहचानते  है...इसलिए मैं  उससे एटरेक्ट  हो रही हूँ ?


मगर  नहीं......... ये  दिमाग से ज्यादा दिल  का मामला  था... 


मैंने ही बात शुरु की.......


"हाय .."

 

"जी नमस्ते " 


" आप  बहोत अछा बोलते है.."


"जी शुक्रिया...." 


उससे  बात करने में मैं ज़रा आर्टिफीशीयल हो रही थी ...


मुझे डर था ..कहीं  वह बाय  बोल के चला न जाये...


मुझे  नहीं  पता क्यों .... मगर  वह गया नहीं.. बात करता रहा..कुछ  तो था ...कोई कनेक्शन ...या  कहूँ की अब भी  है....


कुछ  तो था ...जो हम एक दूसरे से ऐसे बात करने लगे जैसे एक  दूसरे  को हमेशा से  जानते हो..मेने उसका नंबर  भी ले  लिया...उसने मना  भी नहीं किया...


मुझसे बात करते हुए उसके चेहरे से एक पल के लिए भी मुस्कान नहीं हटी ...


उसका  वही  मुस्कुराता  चेहरा  आज   भी मेरी आँखों  में है ..


हम फिर मिले ...मैं तो उसकी बस तारीफ किये जा रही थी  ..और  वोह बस शर्माता हुआ मुस्कुरा रहा था..........


मैं  खुद  से ही पूछ रही थी .. " उसकी  हर अदा मुझे इतनी पसंद क्यों है ....मेरा दिल उसके लिए इतना महसूस कैसे  कार रहा है...पता  नहीं..ऐसा  लगता है  इसे  हमेशा से  जानती  हूँ...


"आपकी  कोई ग्रलफ्रैण्ड  है ??" मेने यह क्यों पूछा पता नहीं...मतलब ऐसे इतनी  जल्दी बस पूछ डाला...


पर यही खास  बात है  उसकी...वह  एकदम सच्चा  है....हीरे की तरह ट्रांसपेरेंट....


उसका जवाब देने  के अंदाज़  में एक मासूमियत थी ..


उसी  मुस्कान के साथ  वो बोला: - "नहीं ना ...मैं  इतना  हैंडसम नहीं हूँ  ना "


शायद मज़ाक  कर  रहा था....मुझे  तो दुनिया का सबसे  सुन्दर  लड़का वही लग रहा  था...


"आपका  कोई बॉयफ्रेंड  तो होगा  ?? या नहीं  है ? - वो  भी मेरे बारे  में जानना  चाहता था....यह  जान के  मुझे  ख़ुशी हुई थी ....


"हाँ  एक था ...मेने ब्रेकअप  किया  ...मगर  ऐसा लगता है ज़िन्दगी  जी  ली ...सब अनुभव  कर लिया....मुझे  लाइफ  से अब कुछ नहीं चाहिए....


बस  मुझे उस आदमी  से बहोत डर लगता है....वह अभी भी मुझे परेशान कर रहा...न शादी कर  रहा  न मुझे छोड़ रहा " 


" ही  डस  नोट   डीसर्व यू... " 


उसके मुंह से यह शब्द सुनकर मेरे दिल  का दर्द जैसे कम हो गया...शायद उसके शब्दों ने मरहम  का काम  किया ...


जब भी मुझे ठीक लगता था मैं उसे मेसेज करती....कभी  ऐसा नहीं हुआ.. की  उसका जवाब न आये...


"ईमान मुझसे  मिलना चाहता है...माफ़ी मांग  रहा  था...


कह रहा है सब ठीक  कर  देगा..


मुझे  मिलने  बुलाया  है...क्या  करूँ? " -मैं  सूरज से  फ़ोन  पे बात कर रही थी ..


"तुम उसके पास  मत जाना ..इट्स नोट सेफ...प्लीज  अपना ध्यान  रखो... ही  इस प्लानिंग टू  ट्रैप यू अगेन.."


मेने  सूरज की बात मान ली...क्यूंकि उसकी हर बात मेरे दिल में सीधे  उतर   जाती  थी ...


मैं  जानती थी..की सूरज मेरा सच्चा शुभचिंतक  है..


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 " सूरज हमें अब और नहीं मिलना चाहिए "


"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी गौरी...मगर हुआ क्या  ?"


 " सूरज  ,मैं तुम्हे पसंद करती हूँ...या शायद तुमसे बहोत प्यार करती हूँ...मगर  मैं जानती हूँ...तुम्हारी  अलग  दुनिया  है...


तुम  तो चमकता  सितारा  हो...तुमसे  से कोई भी प्यार करने लगेग "


 "गौरी प्लीज ऐसा मत कहो...इन  शब्दों का बोझ  में कैसे उठा  पाउँगा ...


मैं तुमसे प्यार नहीं  कर  सकता ...मगर  तुम मेरी दोस्त  हो..और  हमेशा दोस्त की तरह  तुम्हारे साथ रहूँगा... " 

 "मुझे  मालूम  है सूरज ...मगर मैं तुम्हे अपने एंजेल  की तरह देखती  हूँ...मैं  तुमको पाना भी  नही  चाहती ...


क्यूंकि मुझे पता है....यू डीसर्व दी  बेस्ट...तुमसे  बात करती  रही तो मेरे लिए खुद पे  काबू पाना मुश्किल हो जायेगा....


इसलिए  तुम्हे अपने एंजेल  के  रूप  में अपनी यादों  में कैद  कर  लूंगी ...


तुमसे  मिलना मेरी लाइफ  का बेस्ट मोमेंट  था...मैं कभी  भूलूंगी  नहीं...तुम्हारे  साथ स्पेंड  किया एक भी  पल..तुम्हारी एक  एक   बात.... " 


उसने  दोबारा  कभी फ़ोन नहीं  किया...न  मैंने....किसी  का नंबर नहीं  बदला....मगर  मैं उसे कभी एप्रोच  नहीं करना चाहती....


अगर उसने  इस  लाइफ  में  मुझे कभी खुद के  काबिल  समझा  तो वह खुद मुझे एप्रोच  करेगा....


मैं  तो आज भी उसकी  किताबे  पड़ती  हूँ....मेरे  लिए तो वह आज भी  इक चमकता सितारा है...निेउसपेपर  में उसकी फोटो  देखती हूँ...वो  मुझसे दूर  नहीं  है....बहोत  कारीब  है मेरे  दिल में है ..मैं  मन ही मन उससे बातें  कर लेती  हूँ .


यही कहती  हूँ ... " सूरज , यू अार माई एंजेल "





































































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