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मैं हूँ बादल आवारा

10 जून 2015

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तुम चाँद से हो बाबस्ता मैं चांदनी का हूँ दीवाना तुम रोशन हो शम्मा की तरह मैं शम्मा का हूँ परवाना तुम आसमां हो सितारों से जड़ा मैं हूँ बादल आवारा तुम बारिश की ठंडी फुहार हो मैं मदमस्त हवा का झोका हूँ तुम तेज नदी की धारा सी मैं उस नदी का साहिल हूँ तुम झील हो मीठे पानी की मैं सागर खारे पानी का है साथ तुम्हारा है भी नहीं जैसे दो समतल रेखाओ सा तुम पार लगाती नैया हो मैं उस नैया का माझी हूँ तुम चाँद से हो बाबस्ता मैं चांदनी का हूँ दीवाना ..... ....निशान्त यादव www.nishantyadav.in
डॉ. शिखा कौशिक

डॉ. शिखा कौशिक

BAHUT SUNDAR RACHNA .BADHAI

10 जून 2015

शब्दनगरी संगठन

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निशांत जी, अति सुंदर रचना हेतु बधाई !

10 जून 2015

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