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मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है."- रबीन्द्रनाथ ठाकुर

3 नवम्बर 2015

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