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मन की शक्ति

12 फरवरी 2022

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जब आप खुद से कहते हैं मेरी यात्रा सुखद होगी तो आप आगे जाने से पहले ऐसी शक्तिया और तत्व भेज रहे होते हैं जो स्थितियों को इस तरह व्यवस्थित कर देंगे ताकि आपकी यात्रा सुखद हो। जब आप किसी  के प्रति डरे होते हैं तो आप अदृश्य प्रतिनिधियों को आगे भेज रहे होते हैं जो अवश्य ही कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न कर देंगे, हमारे विचार या शब्द और हमारी मानसिक अवस्था हमेशा से ही अच्छी या बुरी चीजों को उत्पन्न करने का कार्य करती है। अगर आप बुरी चीजों को आकर्षित नहीं करना चाहते तो कुछ पल का समय निकालें और खुद को बदलने का प्रयास करें, जिंदगी की हर घटना के बारे में सोचें, सोच के सकारात्मक प्रणाम की कल्पना करने की आदत डालले, अपने हर काम और अपनी हर यात्रा में ब्रह्मांड की शक्तियों जाग्रत करें सोच लें कि आप कैसा परिणाम चाहते हैं अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आप अपनी इच्छा से अपने जीवन का निर्माण कर लेंगे। आप की वर्तमान हकीकत एवं जिंदगी उन विचारों का परिणाम है जो आप सोच रहे हैं जब आप अपने विचारों और भावनाओं को बदल लेंगे तो आप की हकीकत और जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी। इंसान खुद को बदल सकता है और अपनी तकदीर का मालिक बन सकता है यह  हर उस व्यक्ति का निष्कर्ष है जो सही विचार की शक्ति के प्रति पूरी तरह जागृत है। मन ही जगत का कारण है। इसके एकाग्रता के अभ्यास के द्वारा मानव मन शरीर से बाहर स्थित सजीव एवम् निर्जीव पदार्थों पर भी असर डाल सकता है,   दृढ़ इच्छाशक्ति द्वारा स्थूल जगत पर नियंत्रण संभव है मनोविज्ञान जीरो नें अपनी दैनिक जीवन में मनोविज्ञान विषय की पुस्तक पर इस बात पर बहुत जोर दिया है कि हर मनुष्य को अपने भीतर के साहस का उदय करना चाहिए अपने आप को सबसे बड़ा न सही अयोग्य मानना तो बंद ही कर देना चाहिए ।परमात्मा ने प्रत्येक व्यक्ति को लगभग समान स्तर की क्षमता प्रदान की है, और हर कोई अपने सामर्थ्य को विकसित करने में समर्थ है हारे थके टूटे निराश मनः स्थिति वाले अधिकांश व्यक्ति मनोबल संकल्प बल की दृष्टि से कमजोर होते हैं और ऐसे व्यक्ति ही विग्रह का शिकार होते हैं।मनोबल वृद्धि का अभ्यास हो जाने पर  असंभव समझे जाने वाले कार्य भी संभव हो जातेहैं। रुसी महिला रोजा मिखाई लोवा अपनी कल्पना शक्ति से जड़ वस्तुओं में हलचल पैदा करने के कितने ही प्रदर्शन कर चुकी है। ब्रह्माण्ड की सामर्थ्य और चमत्कार की घटना से भारतीय धर्म  ग्रंथ के पुराण एवं इतिहास भरे पड़े हैं, जिसे एक सूत्र में पिरोकर योग वशिष्ठ नाम दिया गया है।यदि हम अपना सुधार स्वयम करें तो भावनात्मक स्तर पर भी हम मजबूत हो सकते हैं, मकड़ी अपना जाला खुद बुनती है,ठीक इसी प्रकार अपनी भावनाओं से अपनी परिस्थितियों का निर्माण हम स्वयं करते हैं। और उसी स्थिति   में  उसमें सुख दुख अनुभव करते हुए जीवन को  व्यतीत करते रहते हैं ।अनेकों व्यक्ति यह सोचते हैं कि उन्हें सताया गया है सताने वाले जो व्यक्ति समझ में आते हैं उनके प्रति क्रोध और प्रति हिंसा के भाव आना स्वाभाविक है अपनों के साथ अपने कष्टों के साथ जो सोच  जुड़ जाती है  वह और जले पर नमक छिड़कने की तरह  दुख देती है ।भीतरी प्रतिभा जब जाग्रत होती है तब उसके प्रकाश से बाहर का सब कुछ जगमगाने लगता है ,ईश्वर उनकी सहायता करता है जो अपनी सहायता आप करते हैं पुरुषार्थी व्यक्ति के आत्मविश्वास से पूर्ण कदम जिस राह पर निकलते हैं उसके रोड़े हटते ही है ,हिमालय से निकली हुई गंगा की समुद्र से मिलने की प्रदीप्त भावना को हजारों मील भूमि पर बिखरे हुए असंख्य विरोध कहां रोक सके ,गंगा की धारा समस्त प्रतिरोधो को कुचल कर समुद्र तक पहुंचती ही है। हिमालय जैसा आंतरिक स्तर जिसका होगा और  विशाल  आकांक्षा होगी उसका मार्ग गंगा की तरह सदैव ही प्रशस्त रहेगा

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