बिंदु “मानवता” एकधर्मसड़क में यदि कोई टकरा जाए तो हम ऐसे लड़ते हे जैसे किसी ने हमारे पैर पर अपना पैर रख दिया हो, छोटी सी बात को लेके हम इस तरह गुस्सा होते हैं जैसे किसी ने हमारा बहुत अपमान कर दिया हो, हम किसी को बुरी बात कहने में तनिक भी देरी नही लगाते। नमस्कार, इन कुछ बातो से आप बिंदु तक पहुँच गए होंगे। गौतम बुद्ध एक दिन सूर्य नारायन जी को अर्घ्यं देने पहुचे, वहा एक बिच्छु पानी में बह रहा था, बुद्ध जी उसे बार-बार पानी से बाहर निकालते और वो उन्हें काट कर निचे गिर जाता। वहा खड़े लोग उन्हें पागल कह रहे थे फिर किसी ने पूछ आप ऐसा क्यों कर रहे हे तो उन्होंने कहा बिच्छु का काम हे मुझे काटना और मेरा धर्म हे की में उसकी सहायता करू। इसी चीज़ को उन्होंने मानवता कहा हैं। मानवता, मानव का मानव के प्रति प्रेम, उसकी एकता, सोहाद्र और समर्पण बताता हे। आज धर्म, समुदाय, काम आदि को लेकर हम कुत्ते-बिल्ली जैसे लड़ते हे। जबकि ईश्वर ने कही भी किसी धर्म का उल् लेख नही किया की मानव का धर्म क्या हे वो कहता हे की उसका केवल एक धर्म हे- मानवता। मानवता अर्थात एकता, हम कितने हे, हमारी संख्या कितनी हे से अच्छा हे हम सोचे हम एकता में बंधे हे की नहीं। दुसरो में प्रति दया और सम्मान भी मानवता हे, क्षमा भाव भी मानवता हे अतः मनुष्य को ये याद रखना चाहिए की मानवता इस संसार का सबसे बड़ा धर्म हे। किसी ने क्या खूब खा हे- मजहब नही सिखाता, औरो से बैर करना। मानवता का काम हे , मानव को एक करना।। शिवम् रख़ौल्या बी. एससी. तृतीय वर्ष, भौतिक विशिष्ट