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राष्ट्रभक्ति का दीप जलाना सब को अच्छा लगता है
जन गण मन का गीत सुहाना सब को अच्छा लगता है जननी जन्मभूमि प्राणों से बढ़कर प्यार ही होती है देशवासियों के खातिर सुरभित फुलवारी होती है
फिर भी प्रश्न खड़े होते हैं जगह-जगह विस्फोटों के
मां तेरी संतानों को कैसी लाचारी होती है
जब स्वदेश का बच्चा-बच्चा वंदे मातरम गाएगा
कोई भी आतंकी कैसे उग्रवाद फैलएगा
अपना उच्च तिरंगा नभ में फहर फहर फरायेगा
जो इसकी तोहीन करेगा मिट्टी में मिल जाएगा आओ करें प्रतिज्ञा हम सब गौरवशाली भाषा में क्यों अपने मन में औरों की खातिर पीर नहीं होती यह शरीर की दुनिया में सब की तस्वीर नहीं होती अरे मौत के सौदागर नीच अधम हत्यारे सुन मरने के जो संग चले ऐसी जागीर नहीं होती अगर निरीह प्राणियों पर भी दया नहीं दिखलाइए गा धरती माता के दामन में गहरे दाग लगाएगा है इतिहास गवाह कसम से रोएगा पछताएगा जो इसकी तोहीन करेगा मिट्टी में मिल जाएगा सुक्त मानसिकता है आओ मिलकर उन्हें जगह हैं हम देश प्रेम की अविरल धारा को मिलकर अपनाएं हम खुराफात जिनके दिमाग में वह निरंतर उठाते हैं कई बार पछताए होंगे फिर भी नहीं मानते हैं चोरी-छिपे बार करने के बना रहे जो मंसूबे दुश्मन देश युवा भारत की ताकत नहीं जानते हैं गीदड़ को यदि मौत बंधी है पास शहर के आएगा देशद्रोहियों को हिंदू नरेश का उपदेश नाहर गिर जाएगा बोएगा जोसुल बताओ फूल कहां से पाएगा जो इसकी तोहीन करेगा मिट्टी में मिल जाएगा