भारतीय त्यौहारों में प्रकृति को बहुत महत्व दिया गया है | प्रकृति को माँ का दर्जा दिया गया है , जिस तरीके से माँ अपने बच्चे का पालन पोषण करती है उसी तरह प्रकृति भी इस संसार का पालती पोसती है | प्रकृति के सम्मान में ही हमारा कल्याण है , उसी को आदि शक्ति कहा गया है सनातन धर्म में | नदी , पृथ्वी , वायु , वृक्ष, वन और इनके आश्रय में पलने वाले जीव इन्ही आदि शक्ति का स्थूल स्वरुप है |
हिन्दू धर्म की मान्यताओं में नवरात्री वर्ष में 4 बार आती है जो की बदलते ऋतू चक्र का संकेत देती है , इन दिनों आदि शक्ति की विशेष उपासना की जाती है | वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखे तो ये दिन पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश देते है | इन दिनों आदिशक्ति के नौ रूपो की आराधना की जाती है |
सबसे पहले दिन शैलपुत्री की जो की माँ पारवती का स्वरुप है और हिमांचल की पुत्री है , यहाँ पर्वतों को महत्व दिया है , दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी जिनका स्वरुप तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम का प्रतीक है , तीसरे दिन चंद्रघंटा माँ का पूजन किया जाता है जो की ध्वनि से सबंधित है , नवरात्रि में चौथे दिन देवी कोकुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी
मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस
देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है, नवरात्रि का पाँचवाँ दिनस्कंदमाता की उपासना का दिन होता है, यानी चेतना का निर्माण करने वालीं, माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है जो की रोग, शोक, संताप और भय नष्ट करने वाली देवी है , सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं, जो की साक्षात् काल (समय ) का प्रतीक है , आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं मां दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है |
सबसे पहली नवरात्रियाँ चैत्र मास में आती है जो की हिन्दू नववर्ष की शुरुआत है , दूसरी आषाढ़ मास में जो तीसरी आश्विन मास और चौथी पौष मास में मनाई जाती है | इनमे चैत्र और अश्विन मास की नवरात्री व्यापक रूप से मनाई जाती है , आषाढ़ और पौष मास की नवरात्रों को गुप्त नवरात्री कहा जाता है जिनमे तंत्र साधना का महत्व है |