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शब्दो का खेल ही तो है,ये जिन्दगी। कभी इधर तो कभी उधर, हर शब्द एक रचना कर जाता है। यू शब्दो के फेर से निकलिए तो सूनापन सा है ये जीवन, हर एक शब्द अपने मे एक यथार्थ को समाहित किए हुए है। जीवन की एक सरल