लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर बनके,
दिल्ली में तैयार हुआ।
नव भारत का स्वर्णिम सपना,
अब इससे साकार हुआ।।
भारत मां के भक्तों का जब,
इसमें डंका गूंजेगा।
पाक चीन की छोड़ सयाने,
अमरीका भी धूजेगा।।
दिव्य भव्यता सुनके इसकी,
सारा जग बीमार हुआ।
लोकतंत्र का मंदिर बनके.....।।
सोन चिरैया अपने बल पर,
सारे नभ को सींचेगी।
लगा पंख में हीरे मोती,
उड़ती जग को दिखेगी।।
इसे पकड़ने का अब सपना,
व्याधों का बेकार हुआ।
लोकतंत्र का मंदिर बनके.....।।
कुमार मिथलेश