कर्म और कर्मफल की सूक्ष्मता ये भी
चुन-चुन के, छांट-छांट के सब्ज़ी-फल खरीदने वाले बुद्दिमानभाईकौये का सा गुणधर्म अपना करतुमने आज नौ-दस रुपयों का घाटाहोने से बचा तो लिया पर घाटा बचा कहाँ -ये तो उस सर्वदा-कल्याणकारी कीकृपा से आज के दिन की तेरे ही पुराने किसी बीजे की, तेरे ही भागों की तेरे ही जिम्मे की छोटी सी घाटे की किश्त थीजो तूने सां