परमात्मा हमे हर समय हर हाल मे हर एक अवस्था प्राप्त है बस उधर हमारी द्र्स्टी ही नही जाती कारन इस अनित्य शरीर और यहाँ के सम्बन्धो को हमने नित्य मान लिया है
हम परमात्मा के अंश चेतन अमल और सुख की राशि है दुख का मूल कारण ये है की हमने स्वंय को संसार का मान लिया और संसार को अपना और संसार से सुख चाहते है जो मिलता नही मिल सकता नही
संसार हर पल हमसे बिछुड़ रहा है अनित्य है सदा साथ रहा नही रह सकता नही अनित्य है परमात्मा स्वतः प्राप्त है केवल स्वीकार करना है मैं परमात्मा का हूँ
नारयण नारयण .....