खाने के व्यंजन की सूची बेशक उपलब्ध हो सकती है,
ख़बरों की मेन्यू के सभी व्यंजन मनपसंद नहीं हो सकते!
कानूनी व्यवस्था में राजनैतिक घुसपैठ, जहाँ राजनैतिक कलाई की हथकड़ी एक ख्याली पुलाव है,
उसे हाथ में लिए लहराते रहो न हिंदुस्तान के दिल में मिलेगा न पांच नदियों के प्रदेश में हकीकत है!
व्यवस्था को बदलना आसान नहीं है, क्या लोकपाल ज़रूरी है, और लोकपाल के लिए बहुमत?
ये बहुमत अगर मिल भी जाये तो क्या है, कोई,कैसे और क्यों अपने हाथ में हथकड़ी को पसंद करेगा?
खाने की मेन्यू में जलेबी भी एक व्यंजन है,जो सब तरफ से बंद है गोल है चासनी से सरोवर है, खाने में अंत का यही व्यंजन है, खाने में मजेदार है, चलो कुछ मीठा हो जाये और सारे राजनैतिक माजरा भूल जाओ? गठबंधन कर लो, सरकार बना लो, या फिर बहार से सहयोग का हाथ भर बढ़ा दो?