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मैं पंकज दुधाड़िया कोलकाता से हूँ | मुझे यदकदा लिखने की रुची रहती है |

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मेरे मन की बात शब्दों के साथ

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मेरे मन की बात शब्दों के साथ

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तेरा साथ मुझे जीने की चाहत देता है

22 मई 2016
3
0

तेरा साथ मुझे जीने की चाहत देता है, मुझे मौत से भी अब डर नहीं लगता है।आना निश्चित है मौत का, तेरा साथ हो तो "पंकज" मौत से भी लड़ सकता है।।वक्त बेवक्त नहीं हर पल हर साँसों की धड़कन में मुझे तेरा साथ दिखाई देता है।जब घनघोर अंधेरा होता है आचानक तो हर इन्सान को यहाँ बहुत डर लगता है।।चाहत के सहारे ही हिम्म

तेरा साथ मुझे जीने की चाहत देता है

21 मई 2016
3
0

तेरा साथ मुझे जीने की चाहत देता है, मुझे मौत से भी अब डर नहीं लगता है।आना निश्चित है मौत का, तेरा साथ हो तो "पंकज" मौत से भी लड़ सकता है।।वक्त बेवक्त नहीं हर पल हर साँसों की धड़कन में मुझे तेरा साथ दिखाई देता है।जब घनघोर अंधेरा होता है आचानक तो हर इन्सान को यहाँ बहुत डर लगता है।।चाहत के सहारे ही हिम्म

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