- अब नहीं है मेहबूब फिदाई के आस पास, इश्क आ पहुँचा जुदाई के आस-पास। कल तक गुरूर था न जाने किस बात का, बात जा पहुँची रुसवाई के आस-पास, कहकसाओं भरी रातों की मुलाकातें नहीं रहीं अच्छाई दफ्न हो गई बुराई के आस-पास। मोहब्बत जो कल तक दिलों में थी, बेवफा ने पहुँचाया शहनाई के आस-पास। इतनी शिद्दत से चाहा था उसको 'अयुज' दिल अब भी रहता है हरजाई के आस-पास।