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पिता का क्रोध

29 सितम्बर 2023

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रामेश्वर प्रसाद जी गांव के  एक प्रतिष्ठित  व्यक्ति थे । यह प्रतिष्ठा उन्हें उनके पूर्वजों से विरासत में मिली थी । जिसे उन्होंने उसी स्तर पर संजोये रखा था । इसके पीछे उनके आदर्शों एवं अनुशाशन का बड़ा योगदान था । रामेश्वर प्रसाद जी के तीन पुत्र थे अमन विवेक और विनीत । रामेश्वर प्रसाद जी ने कड़ी मेहनत करके अपने तीनों बेटों को स्नातकोत्तर तक पढ़ाया । बड़ा बेटा अमन गांव के ही शासकीय विद्यालय में शिक्षक बन गया था तथा सुबह शाम गृहस्थी के काम में अपने पिता के काम में हाथ बटाता था । विवेक गांव से पचास किलोमीटर दूर शहर में एक कंपनी में काम करने लगा था । दो बेटों को नौकरी मिल जाने की वजह से रामेश्वर प्रसाद जी ने दोनों की शादी कर दिया । छोटे बेटे विनीत को अभी तक कोई नौकरी नहीं मिल पायी थी । काम की तलाश में वह गांव छोड़कर भोपाल चला गया था । थोड़े समय तक संघर्ष के बाद आखिरकार उसे भी एक छोटी कंपनी में नौकरी मिली । परन्तु उसे मिलने वाले वेतन से वह भोपाल जैसे शहर में किसी तरह अपना खर्च ही चला पता था । समय बीतने लगा और रामेश्वर प्रसाद जी विनीत के ऊपर भी शादी करने का दबाब बनाने लगे । जबकि अपनी व्यक्तिगत आर्थिकी को देखते हुए विनीत अभी शादी नहीं करना चाहता था । अनुशाशन प्रिय होने की वजह से रामेश्वर जी क¨ बात अनसुनी करने वाले पर शीघ्र क्रोध आ जाता था । ढलती उम्र की वजह से भी कई बार छोटी छोटी गलतियों पर वो अपना आप खो देते थे । शादी के लिए विनीत की मनाही ने उनके अंदर तीव्र क्रोध का संचार कर दिया था जिसकी वजह से वो विचलित रहने लगे थे । विनीत का शादी के लिए मना करना रामेश्वर प्रसाद जी के लिए पारिवारिक अनुशासन का उल्लंघन था । इस वजह से एक दिन अचानक उन्होंने भोपाल जाकर विनीत को गांव वापस लेकर आने का निर्णय कर लिया । और घर में बिना किसी को बताये भोपाल के लिए निकल पड़े । यहाँ तक कि इस बात की सुचना उन्होंने विनीत को भी नहीं दिया । रेल से भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन पर उतरकर दोपहर के लगभग बारह बजे उन्होंने विनीत के मोबाइल नंबर पर उसे स्टेशन आकर उन्हें अपने कमरे में ले चलने को कहा । विनीत उस समय कंपनी में था । पिता जी के इस तरह भोपाल आने को लेकर विनीत हड़बड़ा गया । आननफानन में उसने थोड़े समय की छुट्टी लेकर अपने ऑफिस के ही एक कर्मचारी की मोटरसाइकिल लेते हुए रानी कमलापति स्टेशन की ओर निकल पड़ा। वह पिता जी के क्रोध को बचपन से जानता था । इस लिए तेज गति से स्टेशन पहुंचना चाहता था। इस बीच तेज रफ्तार से चल रही उसकी मोटरसाइकिल एक तेज रफ्तार ट्रक से टकरा गयी । और घटनास्थल पर ही विनीत ने दम तोड़ दिया  । स्थानीय लोगों ने विनीत को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया जहाँ डॉक्टर ने उसके मौत की पुष्टि कर दी । इस दुर्घटना में विनीत का मोबाइल चकनाचूर हो गया था । इस बीच रामेश्वर प्रसाद जी ने विनीत को कई बार फोन लगाया परन्तु मोबाइल बंद बता रहा था । इधर घटना से अनजान रामेश्वर प्रसाद जी क्रोध से आग बबूले हो रहे थे । और मोबाइल का बंद होना उनके क्रोध को बढ़ाता जा रहा था । उन्होंने विनीत की कंपनी का पता एक कागज में लिखकर अपने कुर्ते की जेब में पहले से रख लिया था । अतः उन्होंने जेब से वह कागज निकाला और उसे पढ़कर खुद विनीत की कंपनी की तरफ जाने के लिए स्टेशन से बाहर निकल गए । सड़क पर खड़े एक ऑटो वाले से कंपनी के दफ्तर के बारे में पूछा और किराये की बात करके वो ऑटो में बैठ गए । करीब आधे घंटे बाद रामेश्वर प्रसाद जी कंपनी के दफ्तर पहुंच गए । उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों से विनीत के बारे में पूछा । सौभग्य से वह कर्मचारी जिसकी मोटरसाइकिल लेकर विनीत स्टेशन की ओर गया था वह वहीँ खड़ा था और उसने बताया की विनीत लगभग दो  घंटे पहले ही अपने बाबूजी को लेने रानी कमलापति स्टेशन के लिए निकल गया था । इस बीच कंपनी के कर्मचारियों ने भी विनीत के मोबाइल पर संपर्क करना चाहा परन्तु मोबाइल बंद था । विनीत  के कर्मचारी साथी रामेश्वर प्रसाद जी को कुछ खिलाने के लिए कंपनी के कैंटीन में ले गए ।  वहां पहुंचकर उन्होंने देखा की टेलीविजन पर एक न्यूज चल रही थी जिसमे दुर्घटना के बारे में जानकारी दी जा रही थी । साथ ही क्षतिग्रस्त होने वाली मोटरसाइकिल का नंबर भी बताया जा रहा था । इस समाचार को देखकर सब हतप्रभ रह गए थे । कंपनी के कर्मचारी रामेश्वर प्रसाद जी को लेकर अस्पताल पहुंचे जहाँ विनीत का शव देखकर सबकी ऑंखें भर आयीं ।  रामेश्वर प्रसाद जी बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े और बहुत मुश्किल से उन्हें होश आया । उनका दिल बैठा जा रहा था वो जानते थे की उनके द्वारा क्रोध में लिए गए निर्णय ने उनका एक बीटा उनसे छीन लिया था ।                      

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