ख़ूबसूरत घर
सुन्दर दीवालें
वंदनवार से सजे दरवाज़े
बड़ी बड़ी रंगीन शीशे लगी
हवादार खिड़कियाँ
बहुत ही सुन्दर सज्जा
मगर ये क्या
घर की छत तो है ही नहीं
बिना पिता के
जीवन भी कुछ ऐसा ही लगता है
बिन छत के घर जैसा
सुन्दर मगर सुरक्षित नहीं
पिता सिर्फ़ छत ही नहीं
जो हर आपदा से हमें बचायें
बल्कि पिता
ज़िन्दगी रूपी घर के
सबसे मजबूत स्तम्भ हैं
हर विपत्ति, भूकम्प से बचाते हैं
जीवन तो देते ही हैं
उसे सजाते भी हैं
अपने त्याग और परिश्रम से
हमारी जीवन बगिया को महकाते हैं