कविताएँ पढ़ना और लिखना बेहद पसंद है ।
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वर्षा जब रिमझिम करती धरती पर आती है, हर्ष हास्य उम्मीदों की बूंदें बरसाती हैं । सहसा थिरक उठते पत्ते बीजें लेती हैं अंगड़ाई, मुरझाए पेड़ों पौधों पर आ जाती जैसे तरुगाई। खग उठते चहचहा कुचालें मृग भरता ह