क्या सियासत उस दौर से आगे बढ़ गया है?
राजनीती में अब मान कहाँ बचा है जिसकी हानि हो, सवाल यह नहीं है की मान की हानि हुई है या नहीं वल्कि मान है कहाँ, इतिहास गवाह है कल से लेकर आजतक क्या कानून ने राजनीती में किसी के मान की हानि पर फैसला सुनाया है?
राजनीती में कभी मान हुआ करता था, जब अपनी जिम्मेदारी के तहत आने वाले मंत्रालय में अगर काम सुचारू रूप से न हो रहा हो तो इस्तीफा दे देते थे! मगर आज पूरा मंत्रालय गटक जाते है मुकदमा भी हो जाता है मगर मान है की उसकी हानि आज अब और नहीं होती है?
मान भी अब सहिष्णु हो गया है, जब तक असहिष्णु उसको घसीट कर कुर्सी से निचे नहीं उतार देते है, तब तक आने वाले दिनों में अब मान की हानि नहीं होगी, क्या ऐसा लगता है?