महंगाई के ज़माने में पगार में बढ़ोतरी होनी चाहिए मगर होती नहीं है, काम नहीं/संसद ठप्प करने के ऐवज में संसद के माननिये सदस्यों ने अपनी पगार बढ़ाने की कवायद तेज कर दी है, क्या विपक्षी दल इसका बहिष्कार/विरोध करेंगे?
इस मुद्दे पर संसद बिना किसी गतिरोध के 4G के रफ़्तार से संसद चल पड़ेगी, वहीँ अगर देश में जनता की हित की बात होगी तब (-)4G के रफ़्तार से भी अगर संसद बिना किसी गतिरोध के चले तो देश और जनता लोकतंत्र के मंदिर संसद का एहसान कभी नहीं भूलेगी?
अजब गजब देश है हमारा, काम नहीं करने पर अगर पर पगार बढ़ जाती है तो काम करने पर क्या क्या नहीं हासिल कर सकता है! क्या देश इन सांसदों को चिन्हित करके अगली बार इनको संसद में न भेजने पर विचार करेगी, या ये यूं ही चलता था, है और चलता रहेगा?
काश कुछ ऐसी व्यवस्था देश में जनता के लिए भी हो जाती?