रहीम दास जी ने लिखा है की ,रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय ,टूटे से फिर न मिले मिले गांठ परी जाय य़े सब जानते हुय भी लोग नफरत की जिंदगी क्यों जीतें हैं ?क्या कोई इसका जवाब दे सकता है ?जानवरों को देखो प्यार का जवाब प्यार से ही देतें हैं ज़ब तक हम किसी जानवर को छेड़ते नहीं तब तक ओ हम पर हमला नहीं करते हैं .