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प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं

9 अक्टूबर 2015

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रहीम दास जी ने लिखा  है की ,रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय ,टूटे से फिर न मिले मिले गांठ परी  जाय य़े सब जानते हुय भी लोग नफरत  की जिंदगी क्यों जीतें हैं ?क्या कोई इसका जवाब दे सकता है ?जानवरों को देखो प्यार का जवाब प्यार से ही देतें हैं ज़ब तक हम किसी  जानवर को छेड़ते नहीं तब तक ओ हम पर हमला नहीं करते हैं .

               




प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

शैलेंद्र जी , आपकी बात से सहमत हूँ । इंसान ही ऐसे है जो पीठ पीछे वार करने मे सक्षम है । आप एक जानवर को एक दिन मे आधी रोटी भी खिलाएँ , फिर भी वो पूरी वफादारी से आपकी रक्षा करेगा । मौका पड़े तो अपनी जान देकर भी आपको बचाएगा । मगर कुछ इंसान इन सब को नहीं समझते । इंसान से बड़ा जानवर कोई नहीं ।

9 अक्टूबर 2015

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sktiwari
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