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मैं एक नया कवि हूँ और कुछ अच्छी कवितायेँ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ।

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भारत में मानव अधिकार और उनकी प्रासंगिकता

9 दिसम्बर 2015
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          किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान का अधिकार ही मानव अधिकार है। मनुष्य योनि में जन्म लेने के साथ मिलने वाला प्रत्येक अधिकार मानवाधिकार की श्रेणी में आता  है। संविधान में बनाये गए अधिकारों से बढ़कर महत्व मानवाधिकारों का माना जा सकता है। इसका कारण यह है कि ये ऐसे अधिकार हैं

दर्द

19 जुलाई 2015
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वो कौन सा इंसान है, जिसे दर्द नहीं होता है। कुछ मुश्किलों से परेशान हैं, कोई खुशहाली में भी रोता है। चाहे घाव हों तन पर, या चोट लगे मन पर। ज़ख्म असर करता है, हर इंसान के जीवन पर। कोई आंसुओं में जीता है, महफ़िल में तकलीफें बताकर। कोई खून के घूंट पीता है, तन्हाई को हमराह बनाकर। दर्द हद से

आलोचना

29 अप्रैल 2015
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जो स्वयं नहीं कर पाते हैं, अपनी कोई मौलिक रचना । वे भी प्रचार पा जाते हैं, करके दूसरों की आलोचना ।। कभी विरोध के स्वर जताते हैं, तंज कसते शब्दों की व्यूह रचना । कहीं मन की कुंठा छिपाते हैं, करके गैरों की आलोचना ।। यूँ तो सृजन के सतत विकास में, विचारों की अभिव्यक्ति जरूरी है। किन्तु वांछित सुधार के

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